चाणक्य का जीवन परिचय, जन्म, शादी, पत्नी, नीति, अनमोल वचन, Chanakya Biography in Hindi

चाणक्य का जीवन परिचय, जन्म, शादी, पत्नी, नीति, अनमोल वचन, Chanakya Biography in Hindi

इस लेख में चाणक्य का जीवन परिचय, जन्म, शादी, पत्नी, चाणक्य नीति, अनमोल वचन, कहानी, मृत्यू, जाति, धर्म, माता पिता, असली नाम, पूरा नाम, कहानी, इतिहास, निधन (Chanakya Biography in Hindi, birth, marriage, wife, Chanakya niti, priceless words, story, death, caste, religion, parents, real name, full name, story, history, death) के बारे में जानकारी बताई गई है।

चाणक्य कौन है इनका जीवन परिचय हर इंसान जानना चाहता है, क्या आप Chanakya Ka Jivan Parichay (Jivni) एवं Chankya Ki Kahani, itihash जानते हैं। अगर नही जानते तो हम बताएंगे चाणक्य का परिचय, चाणक्य की नीतियां, चाणक्य के कड़वे, अनमोल वचन तथा उनके जन्म से मौत कैसे हुई के बारे में।

चाणक्य का जीवन परिचय (जीवनी) Chankya Biography in Hindi

नाम (Name)चाणक्य (Chankya)
पूरा नाम (Full Name)विष्णुगुप्त, कोटिल्य
उपनाम (Nick Name)चाणक्य और भारतीय मेकियावली
प्रसिद्ध (Popular)शास्त्रीय राजनीति शास्त्र एवं अर्थशास्त्र के जनक
जन्म तिथि (Date of Birth)375 ई.
जन्म स्थान (Birth Place)तक्षशिला (अब जिला रावलपिंडी पाकिस्तान) गोला क्षेत्र में गांव चणक (वर्तमान में उड़ीसा ) ( जैन पाठ्यक्रम के अनुसार
मृत्यु तिथि (Date of Death)275 ई.
मृत्यु स्थल (Place of Death)पाटलिपुत्र (वर्तमान में पटना, भारत)
गृहनगर (Home town)तक्षशिला (भारत)
मृत्यु मौत का कारण (Death Cause)विद्वानों के मुताबिक, भोजन ग्रहण नही करने के कारण
कुल आयु (Age)75 साल तक जीवित रहे
माता का नाम (Mother Name)चनेश्वरी
पिता का नाम (Father Name)ऋषि कनक
पत्नी का नाम (Wife Name)यशोमती
शिक्षा (Study)अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र का अध्ययन
महाविद्यालय (विश्वविद्यालय)तक्षशिला (टैक्सिला विश्वविद्यालय) प्राचीन भारत ( वर्तमान में रावलपिंडी, पाकिस्तान )
धंधा (Profession) अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ, शिक्षक, दार्शनिक ओर चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री
जाति (Caste)द्रविण ब्राह्मण
धर्म (Religion)हिंदू
नागरिकता (Nationality)मौर्य राजवंश
शादी (Marriage)विवाहित
बच्चे (Children)ज्ञात नहीं
गुरु का नाम (Teacher)गुरु चणक
गोत्र (Gotra)कोटिल
असली नाम विष्णुगुप्त
Chankya Biography in Hindi । Life introduction of Chanakya in Hindi

चाणक्य का परिचय Introduction to Chanakya in Hindi

चाणक्य कौन थे बता दें कि चाणक्य एक अर्थशास्त्री शिक्षक, दार्शनिक और राजनेता थे उन्होंने अर्थशास्त्र ( राजनीति और अर्थशास्त्र का विज्ञान ) ग्रंथ लिखा था।

मौर्य वंश की स्थापना में चाणक्य की अहम भूमिका थी। चाणक्य एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे ओर उनकी शिक्षा तक्षशिला में हुई थी जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। चाणक्य शिक्षा केंद्र तक्षशिला भारत के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित है।

चाणक्य ऐक ऐसे महान विद्वान थे जो अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, चिकित्सा और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों में महत्वपूर्ण ज्ञान रखते थे।

चाणक्य ने सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की। चंद्रगुप्त मौर्य के नगर क्षेत्र में पाटलिपुत्र में शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और चंद्रगुप्त को नई शक्तियां दिलवाने में सहलाकर के रूप में चाणक्य की अहम भूमिका थी।

सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के बाद उनके पुत्र बिंदुसार के लिए भी चाणक्य ने सलाहकार का काम किया। चाणक्य की जीवनी अभी तक हमने आपको चाणक्य का परिचय करवाया जिसमें चाणक्य कौन थे चाणक्य का इतिहास और कहानी क्या थी कुछ अच्छा हद समझ में आया हुआ। चलिए अब चाणक्य का जन्म, शिक्षा के बारे में जानते हैं।

चाणक्य का जन्म एवं शुरूआती जीवन Birth and early life of Chanakya

चाणक्य का जन्म 375 ईसा पूर्व में तक्षशिला नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कनक हैं और माता का नाम चनेश्वरी हैं। चाणक्य ने बालकपन से ही वेदों को पढ़ा और राजनीति का ज्ञान ग्रहण किया। ऐसा माना जाता है कि उनके पास एक ज्ञान दांत था और ऐसा दांत होना राजा बनने का प्रतीक है।

एक ज्योतिषी ने चाणक्य की मां को बताया कि चाणक्य की भाग रेखा के अनुसार यह बड़ा होकर राजा महाराजा बनेगा और राजा बनने के बाद अपनी मां को भूल जायेगा। मां का दिल रखने के लिए चाणक्य ने अपने ज्ञान दांत तोड़ दिए और अपनी माता से सदा साथ रहने का और उनका जीवन भर देखभाल करने का वादा किया।

‘चाणक्य की शिक्षा तक्षशिला में हुई थी जो वर्तमान में पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्तिथ है। बताया जाता है कि चाणक्य दिखने में अच्छा नहीं लगता था। हर इंसान उसके काले रंग, टूटे दांत और टेढ़ी टांगों का मजाक मजाक में लेते थे। इसी वजह से उनकी आंखों में क्रोध रहता था।

जब चाणक्य ने अपनी शिक्षा पूरी करली तो उसके बाद उन्होंने तक्षशिला, नालंदा सहित अपने आस पड़ोस के क्षेत्रों में एक गुरु बनकर (Teacher) के रूप में पढ़ाना शुरु किया।

उनका ऐसा विश्वास था कि एक महिला जो शरीर से सुंदर है वह सिर्फ आपको एक रात के लिए खुश रख सकती है किंतु मन से साफ औरत आपको पूरे जीवन भर सुखी रखती है।

उनका काला रंग कुछ लोगों के लिए मजाक था इसलिए उन्होंने भी अपने ब्राह्मण वंश कि एक यशोधरा नाम की लड़की से विवाह किया वह भी उनकी तरह खूबसूरत नहीं थी।

चाणक्य की पत्नी यशोधरा एक बार अपने भाई के घर एक समारोह में गई हुई थी तो वहां पर उनकी गरीबी का बड़ा मजाक उड़ाया गया था। इस समय काफी असंतोष हुई और उन्होंने चाणक्य को राजा धनानंद से मिलने की सलाह दी और उनसे उपहार के रूप में कुछ पैसे लेने की बात कही।

महाराजा राजा धनानंद से मिलना

एक बार जब मगध के राजा धनानंद ने पुष्पपुर में सभी ब्राह्मणों के लिए भोजन का प्रोग्राम रखा। उस आयोजन में चाणक्य भी शामिल हुए, उनका मकसद अखण्ड भारत का सुझाव राजा के समक्ष रखकर उपहार प्राप्त करना था।

उनके बदसूरत रुप को देखकर राजा धनानंद ने चाणक्य का अपमान किया उनके सभी सुझाव को मानने से इनकार कर दिया। उनका अपमान उनसे सहा नहीं गया और उन्होंने उसी समय कसम खाई थी वह नंद साम्राज्य को नष्ट कर देंगे। इतना सुनकर राजा धनानंद भी क्रोधित हो गए और उन्होंने चाणक्य को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। लेकिन चाणक्य वहां से भाग निकला।

अपने अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने धनानंद के पुत्र पब्बता से मित्रता कर ली उसके बाद चाणक्य ने धनानंद के पुत्र को सिंहासन पर कब्जा करने के लिए उकसाया। राजकुमार पब्बता एक अंगूठी की मदद से वह गुप्त दरवाजे से महल से भाग गए।

चाणक्य ने धीरे धीरे पब्बत का विश्वास जीत लिया एवम एक शाही अंगूठी प्राप्त की ओर जंगल की ओर चले गए। शाही अंगूटी से चाणक्य ने अपना दिमाग लगाया और 80 करोड सोने के सिक्के कमाने का लक्ष्य रखा।

उन्होंने बहुत सारे सोने के सिक्कों को जंगल में एक गड्ढा खोदकर सुरक्षित रख दिए उसके बाद वह एक ऐसे योद्धा या राजा को ढूंढने चले जो राजा धनानंद को मार सके।

धनानन्द बहुत शक्ति शाली राजा था इसलिए उसको हराना या मारने के लिए बहुत शक्तिशाली योद्धा की जरूरत थी। चाणक्य को भी इसी प्रकार के योद्धा की तलाश रहे थे जो नंद वंश का सर्वनाश कर सके। उसी वक्त चाणक्य को चंद्रगुप्त मौर्य के दर्शन हुए।

चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के माता-पिता को 1000 सोने के सिक्के दिए उसके बाद चाणक्य चंद्रगुप्त को अपना साथ जंगल में लेकर चले गए। अब चाणक्य के पास चंद्रगुप्त को खत्म करने के लिए दो हथियार मिल गए थे पहला पहला धनानंद का पुत्र पब्बार और दूसरा चंद्रगुप्त।

बता दें कि चाणक्य ने जंगल में चंद्रगुप्त और पब्बार का युद्ध करवाया जिसमे चंद्रगुप्त ने पब्बार का सिर काट दिया।

चंद्रगुप्त का उदय होना

चन्द्रगुप्त पर चाणक्य को गर्व था क्योंकि उसने पब्बार को हराया। उसके बाद चाणक्य ने लगातार चंद्रगुप्त मौर्य को 7 साल तक कठौर सैन्य शिक्षा प्रदाय की। धीरे धीरे चन्द्रगुप्त, चाणक्य द्वारा दिए प्रशिक्षण प्राप्त कर एक महान योद्धा बन गया था।

अब चाणक्य और चंद्रगुप्त का एक लक्ष्य धनानंद के नंद वंश को उखाड़ फेंक कर अपना साम्राज्य स्थापित करना था। चंद्रगुप्त ने धीरे-धीरे अपनी एक छोटी सेना बनाई और धनानंद की राजधानी मगध पर हमला कर दिया।

इस युद्ध में धनानंद की सेना ने चंद्रगुप्त की सेना को बुरी तरह परास्त कर दिया और हार का सामना करना पड़ा। चाणक्य द्वारा चली गई यह पहली चाल असफल हो गई। इसके बाद चंद्रगुप्त और चाणक्य दोनों निराश होकर वेशभूषा बदलकर रहने लगे।

चाणक्य को समझ में आ गया था कि यह फैसला मैंने जल्दबाजी में लिया और सामने वाली की शक्ति को सही से परखा नही। अब मुझे ज्यादा बुद्धि लगाने और चन्द्रगुप्त की सेना का और विस्तार करने की आवश्कता है।

चाणक्य का बदला

धनानंद से हार के बाद चाणक्य और चंद्रगुप्त वेश बदलकर घूम रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक मां अपने बच्चे को बुरी तरह डांट रही थी क्योंकि बच्चे ने अपना हाथ गरम गरम रोटियों के बीच में डाल दीया था।

मां अपने बच्चे से कहती है कि बैठा अगर आप अपने हाथ पहले गर्म रोटी के बीच में रखोगे तो यह आपके हाथ जला देगी है ना बैठा, आप मूर्ख चाणक्य की तरह गलती कर रहे हो जिन्होंने सीमा छेत्रो पर कब्जा करने के वजह सीधे राजधानी पर हमला कर दिया जिसके कारण उनको हार का सामना करना पड़ा। इसलिए बैठा सबसे पहले रोटी का किनारा खाओ उसके बाद बीच में हाथ रखोगे तो नही जलोगे।

मां अपने बालक को डांट रही थी यही बात चाणक्य और चंद्रगुप्त गुप्त चुपके से सुन रहे थे। ये सुनकर उनको अपनी गलती का एहसास हुआ। अब उनको पता चल गया कि क्या गलती हुई है सीमा पर कब्जा किए बिना, पाटिलपुत्र राजधानी पर कब्जा नही किया जा सकता है। उस माता को प्रणाम कर आगे बड़ गए।

उसके बाद चाणक्य के मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त ने सीमाओं पर हमला करने लगे ओर सीमाओं को अपने नियंत्रण में लेना शुरु कर दिया। चंद्रगुप्त ने धीरे धीरे सेना की संख्या बड़ाना शुरु किया। जंगल में फालतू घूमने वाले लोगो को सैन्य प्रशिक्षण देकर सेना का विस्तार बढ़ाते गए।

उनकी सेना जब पूरी तरह तैयार हो गई तो चंद्रगुप्त ने जंगल में छिपे सोने को निकालना शुरु किया अपनी और सेना की जरूरत पूरी करने लगे। इससे उनकी सेना मजबूत हुई।

शत्रु के बारे में क्रोध में सोंचना हमेशा नुकसानदायक होता है। इसलिए चाणक्य और चंद्रगुप्त ने धैर्य से सोंचा और युद्ध की रणनीतियां बनाई। चाणक्य के कहे अनुसार चंद्रगुप्त ने धनानंद की राजधानी पाटलिपुत्र पर आक्रमण किया और उसको मार दिया।

धनानंद को मम्मी के बाद चंद्रगुप्त ने नंद वंश को उखाड़ फेंका और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। उसके बाद उनका अखंड भारत स्थापित करने का सपना सफल हुआ। और चाणक्य अपने अपमान का बदला लिया।

जब चंद्रगुप्त पूरे भारत का सम्राट बना तब चाणक्य उनके प्रधान मंत्री बने। शासन अच्छा चले इसके लिए एक निर्णय लेने वाली कमेटी बनाई। उनकी कमेटी के सभी लोगो को अलग अलग मंत्रालय दिए ताकि साम्राज्य के लोगो की समस्याओं का समाधान अच्छे से हो सके।

इन्होंने दूसरे राजाओं से अलग निर्णय लेते हुए अपने लिए पुरुष के साथ साथ महिलाएं भी अंगरक्षक नियुक्त की। इतिहास में महिला अंगरक्षक रखने वाले पहले सम्राट बने।

बिंदुसार के जन्म की घटना

बताया जाता है की चंद्रगुप्त अपने भोजन में कम मात्रा में जहर का सेवन करता था। चंद्रगुप्त की पत्नि जब गर्भवती थी तब उन्होंने जहरीला खाना खा लिया जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई।

बता दें कि उनकी पत्नि ने जहरीला खाना खा लिया था तो गर्भ में जो बच्चा था उसको बचाने के लिए चंद्रगुप्त ने उसकी पत्नि दुर्धरा की कोख काट दी जिससे बच्चा बच गया। जिसका नाम बिंदुसार रखा गया।

बिंदुसार द्वारा चाणक्य का अपमान

बिंदुसार बड़ा होकर चंद्रगुप्त के बाद मौर्य राजवंश का नया सम्राट बना और उनके प्रधानमंत्री भी चाणक्य ही बने थे। लेकिन एक अधेड़ सुबंधु को बूढ़े चाणक्य से घृणा होती थी।

उनकी घृणा का कारण था सुबंधु बिंदुसार के दरबार के एक मामूली मंत्री थे उनको चाणक्य के प्रधान मंत्री पद पर बैठने का लोभ था।

एक बार की बात है जब सुबंधु ने सम्राट बिन्दुसार को उनकी जन्म के बारे में बताया और चाणक्य के कारण उनकी माता ने अपने प्राण त्यागे। बिंदुसार ये जानकर चाणक्य पर क्रोधित हो गया। चाणक्य अपने अपमान को देख कर राज्य छोड़कर पाटिलपुत्र के जंगल में चले गए।

चाणक्य की मृत्यु – Chanakya Death)

समय बीतता गया कुछ समय बाद बिंदुसार को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उनको चाणक्य पर गुस्सा नही करना चहिए था। चाणक्य जंगल में साधुओं की तरह जीवन यापन करने लगे थे।

राजा बिंदुसार ने सुबंधु को चाणक्य को जंगल से समझाकर वापिस लाने को कहा लेकिन सुबंधु कभी नही चाहता था कि चाणक्य वापिस इस राज्य में आए और प्रधान मंत्री का पद संभाले।

सुबंधु जंगलों में गया उसने धीरे से चाणक्य जिस झोपड़ी में रहता था उसका पता लगाया और चाणक्य की झोपड़ी में आग लगा दी ओर चाणक्य मर गया। इस तरह चाणक्य की मृत्यु 283 ईसा पूर्व में हो गई।

जब सुबंधु वापिस राज्य आया तो उसने अपने हिसाब से झूठी कहानी बनाई जिसमे बताया कि चाणक्य ने अपने अपमान के कारण आत्मा हत्या कर ली है।

समय समय की बात रहती है जिस चाणक्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए धनांनद को मरवाकर चंद्रगुप्त को सम्राट बनाकर अपना अपमान का बदला लिया था। आज उसी राजा के पुत्र बिंदुसार ने उनका अपमान किया और उसके मामूली मंत्रि सुबंधु ने झोपड़ी में चाणक्य को जिंदा मार दिया।

आचार्य चाणक्य के 10 अनमोल वचन

  1. मूर्ख इंसान से कभी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय बर्बाद करते है।
  2. उधारी, दुश्मन और रोग को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
  3. भगवान आत्मा में बसता है मूर्तियों मे नहीं बसता. आपकी अनुभूति ही आपका भगवान है और आत्मा आपका मंदिर है।
  4. भाग्य हमेशा उनका साथ देता है जो विषम परिस्थितियों में अडिग रहे।
  5. जब आप किसी को कोई बात बताते हैं और सामने वाला सुनकर इधर उधर देखता है ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा न करे।
  6. हमेशा जो गलतियां दूसरा व्यक्ति करता है उसी से सीखना चाहिए। पूरी गलतियां खुद करके सीखोगे तो आयु कम पड़ जायेगी।
  7. कभी भी किस्मत के सहारे ना चले, किस्मत के सहारे चलना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। जो ऐसा सोंचते है उन्हे बर्बादी से कोई नही बचा सकता है।
  8. ऊंचे स्थान पर बैठने से इंसान ऊंचा नही बनता हैं अपने अच्छे गुणों के कारण इंसान ऊंचा होता है।
  9. जहां आपका आदर न हो वहां कभी नही रुखना चाहिए।
  10. एक सुगंधी पुष्प सारे जंगल में महक फैला देता है ठीक उसी प्रकार एक गुणवान व्यक्ति सारे कुल का नाम रौशन करता है।

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FAQ,s

चाणक्य कौन थे बताए

चाणक्य कौन थे बता दें कि चाणक्य एक अर्थशास्त्री शिक्षक, दार्शनिक और राजनेता थे उन्होंने अर्थशास्त्र ( राजनीति और अर्थशास्त्र का विज्ञान ) ग्रंथ लिखा था।

चाणक्य का जन्म कब और कहां हुआ

375 ई. को तक्षशिला (अब जिला रावलपिंडी पाकिस्तान)

चाणक्य की मृत्यु कब एवं कैसे हुई

चाणक्य से घृणा करने वाले मंत्री सुबंधु ने चाणक्य की झोपड़ी में आग लगा दी ओर चाणक्य मर गया। इस तरह चाणक्य की मृत्यु 283 ईसा पूर्व में हो गई।

निष्कर्ष –

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि चाणक्य का जीवन परिचय (जीवनी) Chanakya Biography in Hindi लेख पसंद आया होगा। Chanakya Ki Jivni को हमने पहले काफी रिसर्च किया उसके बाद आसान शब्दों में Chanakya Ka Jivan Parichay आप तक पहुंचाया है।

Chanakya in Hindi से संबंधित आपका कोई प्रश्न हो तो हमे कमेंट में बताए आपको ओर अच्छे से चाणक्य के जीवन बारे में समझाएंगे ताकि आपके मन में कोई संशय न रहे।

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