राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi (1000 Words) PDF

राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi (1000 Words)

Essay on National Integration in Hindi :- इस निबंध में आपको राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi PDF की जानकारी हिंदी भाषा में दी गई है। राष्ट्रीय एकता पर निबंध लेखन में राष्ट्रीय एकता क्या है, राष्ट्रीय एकता का महत्त्व, परिभाषा आवश्यकता, राष्ट्रिय एकता दिवस और परिषद की जानकारी भी समाहित है।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध खासकर स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8,9, 10, 11 और 12 के बालक और बालिकाओं के लिए 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900 और 1000 शब्दों में तैयार किया गया है। ताकि स्टूडेंट परीक्षाओं में पूछे जाने वाले राष्ट्रीय एकता पर निबंध अच्छे से अच्छा लिख कर अच्छे अंक प्राप्त कर सके। चलिए शुरू करते हैं भारत की राष्ट्रीय एकता पर निबंध हिंदी में।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi

प्रस्तावना :- राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य है किसी भी राष्ट्र के विभिन्न घटकों धर्म, जाति, राजनीतिक दल, संगठन, राज्य या प्रान्त के लोगो में अलग अलग भाषा, रहन-सहन और भिन्न-भिन्न भौगोलिक क्षेत्र होते हुए भी परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा बनाए रखना होता है।

अनेकता में राष्ट्रीय एकता

भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं में असमानता क्यों न हो उसके बावजूद भी भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन एवं आस्था में अन्तर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग अलग हैं। इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत-प्रोत रहते है उसे राष्ट्रीय एकता का विश्व-भर में सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है। राष्ट्रीय एकता का परिणाम है कि जब कभी भी हमारी एकता को खण्डित करने का प्रयास किया गया, भारत का एक-एक नागरिक सजग होकर ऐसी असामाजिक शक्तियों के विरूद्ध खड़ा दिखाई दिया।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती है। यद्यपि प्राचीन काल में हमारी भौगोलिक सीमाएँ इतनी व्यापक नहीं थी और यहाँ अनेक राज्य स्थापित थे, तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी। कन्याकुमारी से हिमालय तक और असम से सिन्ध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक थे। यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नीव थी। मिन्न-भिन्न छेत्र में अपनी अपनी अलग परम्परा, रीति-रिवाज व आस्थाएँ थीं, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था। इसी को अनेकता में एकता एवं विविधता में एकता कहा जाता है और यही पूरी दुनिया में भारत की अलग पहचान स्थापित कर, इसके गौरव को बढ़ाता है।

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता

आप और हम जानते हैं कि राष्ट्र की आन्तरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश भिन्न भिन्न हो गए तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश हमारी स्वतन्त्रता को हड़पने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए भी राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है।

भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्राचीन इतिहास

इतिहास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि प्राचीन काल में समूचा भारत एक ही सांस्कृतिक सूत्र में आवद्ध था, किन्तु आन्तरिक दुर्वलता के कारण विदेशी शक्तियों ने हम पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। इन विदेशी शक्तियों ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करना शुरू किया जिससे हमारी आस्थाओं एवं धार्मिक मूल्यों का धीरे-धीरे पतन होने लगा। लगभग एक हजार वर्षों की गुलामी के बाद अनेक संघर्षों व बलिदानों के फलस्वरूप हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई। स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद हमारी एकता सुदृढ़ तो हुई, परन्तु हम देख रहे हैं कि साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातिवाद, अशिक्षा और भाषागत अनेकता ने पूरे देश को आक्रान्त कर रखा है।

राम जन्मभूमि एवं बाबरी मस्जिद के विवाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 10 मई, 2011 को दिए गए एक महत्त्वपूर्ण फैसले में हालॉकि पूर्व स्थिति बहाल रखने का आदेश दिया गया है परन्तु वर्ष 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले पर पूरे भारत में जो साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल दिखाई पड़ा।

बाद 9 नवंबर 2019 सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश। इस फैसले के बाद भी दोनों पक्षों ने शांति बनाई रखी। जिस पर निःसन्देह हमें गर्व होना चाहिए।

विवाद में बोटों की राजनीति अब समाप्त हो सकेगी एवं आने वाले समय में हमें इसके कई सकारात्मक परिणाम भी दिखाई पड़ेंगे। यदि राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधे रखना है तो साम्प्रदायिक विद्वेष, स्पर्धा, ईष्या आदि राष्ट्र विरोधी भावों को अपने मन से दूर रखकर साम्प्रदायिक सद्भाव का वातावरण कायम रखना होगा।

कई बार हमारे दुश्मन देश या पैसे के लिए सब कुछ बेच देने वाले कुछ स्वार्थी लोग अराजकता एवं आतंकी कार्यों द्वारा हमारी एकता को भंग करने का असपफल प्रयास करते हैं। अगर इन विघटनकारी और विध्वसकारी प्रवृत्तियों पर पूरी तरह से नियन्त्रण नहीं किया गया, तो भारत की एकता और अखण्डता पर खतरा बना ही रहेगा। जब देश में कोई भी दो राष्ट्रीय घटक आपरस में संघर्ष करते हैं, तो उसका दुष्परिणाम पूरे देश को भुगतना पड़ता है। मामला आरक्षण का हो या अयोध्या के राम मन्दिर का, सबकी गूँज पूरे देश के जनजीवन को प्रभावित करती है।

राष्ट्रीय एकता को खतरा

देश की राष्ट्रिय एकता को सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद से है। आतंकवाद आज न केवल हमारी बल्कि सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता में बाधक है। आज हम पंजाब, नागालैण्ड, झारखण्ड आदि में जो समस्याएँ देख रहे हैं, वह इसी आतंकवाद की देन हैं। पिछले दो दशकों में इस आतंकवाद ने इन राज्यों में अपार क्षति पहुंचाई गई है।

इन सबके अतिरिक्त अलगाववादियों ने भी हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास किया है। राष्ट्रीय एकता में बाधक अनेक शक्तियों में अलगाव की राजनीति भी एक है। यहां के राजनेता वोट बैंक बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाभ पर पिछड़े वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं, तो कभी किसी विशेष जाति, प्रान्त या भाषा के हिमायती बनकर देश की राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने की कोशिश करते हैं।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हो, खालिस्तान की मॉग हो, असम या गोरखालैण्ड की पृथकता का आन्दोलन हो, सबके पीछे वोट की राजनीति ही दिखाई पड़ती है। इस देश के हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बॉटकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते है। इन समस्याओं के समाधान का उत्तरदायित्व मात्र राजनेताओं अथवा प्रशासनिक अधिकारियों का ही नहीं है, इसके लिए तो सम्पूर्ण जनता को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा।

राष्ट्रीय एकता में योगदान

इतिहास गवाह है कि अनेक धर्मों, अनेक जातियों और अनेक भाषाओं वाला यह देश अनेक विसंगतियों के बावजूद सदा एकता के एक सूत्र में बँधा रहा है। यहाँ अनेक जातियों का आगमन हुआ और वे धीरे-धीरे इसकी मूल धारा में विलीन हो गई। उनकी परम्पराएँ, विचारधाराएँ और संस्कृति इस देश के साथ एक रूप हो गई।

भारत की यह विशेषता आज भी ज्यों-की-त्यों बनी हुई है। भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तेव्य है कि हम इस भावना को नष्ट न होने दें, वरना इसको और अधिक पुष्ट बनाएँ।

राष्ट्रीय एकता में शिक्षा का योगदान

किसी भी देश में राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शिक्षा। अगर हमारे देश के युवा अधिक से अधिक शिक्षित होंगे और उनको शिक्षा के दौरान राष्ट्रीय एकता के बारे में अच्छे से पढ़ाया जाएगा तो आने वाले समय में हमारे भारत देश की राष्ट्रीय एकता ओर भी मजबूत हो जाएगी। इसलिए राष्ट्रीय एकता में शिक्षा का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है।

राष्ट्रीय एकता से लाभ

भारत एक देश संगठित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र संगठित होता है, उसे न कोई तोड़ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाड़ सकता है। वह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर आगे बढ रहा है।

राष्ट्रीय एकता दिवस

भारत में वर्ष 2014 से हर साल 31 अक्टूबरः के दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की गिनती विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रों में की जाती है. दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के साथ विविध धर्मों के लोग इतनी संख्या में किसी देश में भाईचारे के साथ रहते है, तो वह मेरा भारत देश ही है.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के कोने कोने में 1652 लगभग बोलिया बोली जाती है. यहाँ हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी जैसे धर्मों के अलग अलग धार्मिक रीतिरिवाज, खान पान, बोल चाल, रहन सहन अलग अलग परम्पराओं की भिन्नता होने के बाद भी भारतीय संविधान में सभी का विशवास और आस्था बरकरार है.

FAQ,s

Q- राष्ट्रीय एकता क्या है?

Ans – राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य है किसी भी राष्ट्र के विभिन्न घटकों धर्म, जाति, राजनीतिक दल, संगठन, राज्य या प्रान्त के लोगो में अलग अलग भाषा, रहन-सहन और भिन्न-भिन्न भौगोलिक क्षेत्र होते हुए भी परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा बनाए रखना होता है।

Q- राष्ट्रीय एकता में बाधाए?

Ans – देश की राष्ट्रिय एकता को सबसे बड़ी बाधा आतंकवाद है। आतंकवाद आज न केवल हमारी बल्कि सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। इसके अलावा इस देश के हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बॉटकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता में बाधक है।

Q- राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है?

Ans – भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्टूबरः के दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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निष्कर्ष –

भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि भारत की एकता और आखण्डता बनाए रखने के लिए हर बलिदान और त्याग करने को प्रस्तुत रहे। हम अपनी चौकन्नी दृष्टि से ऐसे तत्त्वों को पनपने से रोक सकते हैं। देश के बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध नागरिकों का कर्त्तव्य है कि वे देश की जनता को इस दिशा में जागरूक कर समूचे राष्ट्र की एकता कायम रखने में अपना आवश्यक योगदान दें। चँकि सशक्त और समृद्ध राष्ट्र ही राष्ट्रीय एकता की आधारशिला होती है, इसीलिए देश की एकता और अखण्डता की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।

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