नक्सलवाद की समस्या पर निबंध – Naxalwad Ki Samasya Par Nibandh PDF

नक्सलवाद की समस्या पर निबंध PDF | Naxalwad Ki Samasya Par Nibandh

आज के लेख में नक्सलवाद क्या है, नक्सलवाद की समस्या पर निबंध (What is Naxalism? Essay on Problem and Solution of Naxalism) की जानकारी पर निबंध और परिभाषा हिंदी भाषा में दी गई है।

अगर आप भी Naksalwad Kya Hai, Naksalwad Ki Paribhasha Kya Hai, Naxalwad Par Nibandh की जानकारी जानने आए हैं तो आप एक सही पोस्ट पर आए है इस लेख के द्वारा आपको नक्सलवाद के बारे में सही जानकारी मिलने वाली है। चलिए जानते है What is Naksalwad in Hindi।

नक्सलवाद की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना : “नक्सलवाद आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।” आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 7 फरवरी 2010 को यह वक्तव्य दिया था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री को आखिर किन परिस्थितियों से बाध्य होकर यह वक्तव्य देना पड़ा, यह आज हिंदुस्तान में किसी से भी छिपा नहीं है। जिस तरह से नक्सलवादी निरंतर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, उस दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रधानमंत्री का यह कथन बिल्कुल सही है। यदि नक्सलवाद की समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो निश्चित रूप से यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होगा।

नक्सलवाद क्या है? What is Naxalism

नक्सलवाद की परिभाषा : नक्सलवाद भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरुप उत्पन्न हुए साम्यवादी क्रांतिकारियों के आंदोलन का अनौपचारिक नाम है। नक्सलवाद को यह नाम पश्चिम बंगाल के छोटे से गांव नक्सलवाड़ी नामक स्थान से मिला, जहां सन् 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने सत्ता के खिलाफ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की। सन् 1969 में चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने पहली बार भूमि अधिकरण को लेकर पूरे देश में सत्ता के खिलाफ एक बहुत व्यापक लड़ाई शुरु कर दी। भूमि अधिकरण के लिए सबसे पहली आवाज नक्सलवाड़ी से ही उठी थी। धीरे-धीरे इस तरह के विद्रोह भारत में अन्य जगहों पर भी होने लगे और उन्हें नक्सलवाड़ी में हुए ऐसे प्रथम विद्रोह के नाम पर नक्सलवादी विद्रोह का नाम दिया गया।

नक्सलवाद की शुरुआत

Naksalwad Ki Suruaat : वैसे तो भारत में नक्सलवाद की शुरुआत स्वाधीनता संग्राम से पहले ही हो चुकी थी, जो साम्यवादी या अन्य क्रांतिकारी विचारधारा के रूप में यहां अपनी जड़े जमा चुका था, किंतु इसे यह नाम पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी नामक स्थान से मिला। मार्च 1967 में इस गांव के एक आदिवासी किसान बियल किसन के खेत पर स्थानीय भू- स्वामियों ने अधिकार कर लिया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप उस क्षेत्र के आदिवासियों ने भू- स्वामियों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह को साम्यवादी क्रांतिकारियों का भारी समर्थन मिला। धीरे-धीरे इस तरह के विद्रोह भारत में अन्य जगहों पर भी होने लगे और उन्हें नक्सलवाड़ी में हुए ऐसे प्रथम विद्रोह के नाम पर नक्सलवादी विद्रोह का नाम दिया गया। इस तरह विद्रोह के एक नए रूप नक्सलवाद का प्रादुर्भाव हुआ।

नक्सलवाद मार्क्सवादी एवं माओवादी सिद्धांतों से प्रभावित है। मार्क्सवाद जहां साम्यवादी विचारधारा को बढ़ावा देता है वही माओवाद अपने हक के लिए सशस्त्र क्रांति पर जोर देता है। माओ चीन के सशस्त्र क्रांति के प्रसिद्ध नेता थे, जिनका मानना था कि राजनीतिक सत्ता बंदूक की नली से निकलती है। इस तरह नक्सलवाद भू- स्वामियों के विरुद्ध आदिवासियों का एक ऐसा सशस्त्र विद्रोह है, जो अपनी मार्क्सवादी विचारधारा को लागू करने के लिए माओवादी तरीकों को अपनाने पर जोर देता है।

नक्सलवाद को शुरू में “कन्हाई चटर्जी” नामक साम्यवादी का साथ मिला, किंतु भू- स्वामीयों के खिलाफ आदिवासीयों के सशस्त्र विद्रोह को लेकर साम्यवादियों में मतभेद थे, इसलिए कन्हाई चटर्जी के समर्थकों, जो सशस्त्र विद्रोह के पक्षधर थे, ने मिलकर मई 1969 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) नामक राजनीतिक पार्टी का गठन किया। इस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में कानू सान्याल एवं चारू मजूमदार के नाम उल्लेखनीय हैं।

प्रारंभ में यह विद्रोह पश्चिम बंगाल तक सीमित था, किंतु धीरे-धीरे यह उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी फैल गया। पहले इसका उद्देश्य अपने वास्तविक हक की लड़ाई था, किंतु अब यह बहुत ही हिंसक विद्रोह के रूप में देश के लिए गंभीर समस्या एवं चुनौती बन चुका है। 2009 के एक आंकड़े के अनुसार, नक्सली देश के 20 राज्यों के 220 जिलों में सक्रिय है तथा भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के अनुसार वर्ष 2009 में पूरे देश में 56 नक्सल गुटों के लगभग 20000 नक्सली कार्यरत थे जिसमें लगभग 10,000 सशस्त्र नक्सली कैडर सैन्य प्रशिक्षित थे। एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश में लगभग 31000 लोग नक्सलवादी गतिविधियों में लिप्त है तथा लगभग 40000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इनके कब्जे में है। ये लोग करीब ₹1400 करोड़ हर साल रंगदारी के माध्यम से वसूलते हैं।

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नक्सलवाद की उत्पत्ति के कारण

Naksalwad Ki Utpatti Ke Karan : हर विद्रोह के पीछे कुछ- न – कुछ कारण होते हैं। नक्सलवादी आंदोलन जो पहले अपने हक की लड़ाई के रूप में आरंभ हुआ था वह आज यदि सशस्त्र आतंकवाद का रूप ले चुका है, तो इसके पीछे कुछ कारण भी है –

  • आदिवासी बहुल इलाके विकास से कोसों दूर है। यहां तक कि वहां प्राथमिक विद्यालय एवं अस्पताल की बात तो दूर शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है। इसके अतिरिक्त वहां पक्की सड़कें अभी तक नहीं बनाई जा सकी है जिसके कारण यह क्षेत्र मुख्य क्षेत्रों से एक तरह से कटे हुए हैं।
  • आदिवासी पहले पूर्णत: वनों पर निर्भर थे। वन उन्मूलन एवं अवैध कारोबारियों द्वारा वनों पर कब्जा करने के कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
  • आदिवासी क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण और अज्ञानता के कारण भी नक्सलवाद को बढ़ावा मिला है अथवा कुछ स्वार्थी लोगों ने दिग्भ्रमित कर अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहे हैं।
  • यद्यपि भारत सरकार ने दलितों, आदिवासियों एवं कृषक समुदाय के हितों के संरक्षण हेतु कई कानून पारित किए हैं, किंतु अब तक उन्हें समुचित रूप से लागू नहीं किया जा सका है।
  • भू – स्वामियों का भूमि पर अवैध कब्जा एवं सूदखोर महाजनों द्वारा आदिवासियों एवं दलितों का शोषण भी नक्सलवाद को बढ़ाने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।

नक्सलवाद के दुष्परिणाम या प्रभाव

Naksalalvaad ke dushparinaam : नक्सलवाद किस तरह देश के लिए खतरा बन चुका है, इसका प्रमाण सिर्फ वर्ष 2010 में फरवरी से मई तक के चार महीने में हुई इन घटनाओं से मिल जाता है –

  • 13 फरवरी 2010 को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में सिल्डा में ईस्ट फ्रंटियर राइफल्स के कैंप पर हमला करके नक्सलियों ने 20 जवानों को मौत की नींद सुला दिया।
  • 4 अप्रैल 2010 को उड़ीसा के कोरापुत जिले में माओवादियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया, जिसमें नक्सल विरोधी दल विशेष कार्रवाई समूह के 11 जवानों की मौत हो गई।
  • 6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने सी.आर.पी.एफ. के 76 जवानों को मार डाला।
  • 17 मई 2010 को दंतेवाड़ा में ही नक्सलियों ने एक बस को उड़ा दिया, जिसमें 15 पुलिसकर्मी एवं 20 स्थानीय नागरिक मारे गए।
  • 29 मई 2010 को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को नक्सलियों ने पटरी से उतार दिया, जिसके कारण हुई ट्रेन दुर्घटना में 148 से अधिक यात्री मारे गए।

एक वर्ष के केवल 4 महीने के भीतर नक्सलवादियों ने जिन खतरनाक गतिविधियों को अंजाम दिया, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नक्सलवाद की समस्या का शीघ्र समाधान कितना आवश्यक हो गया है। नक्सलवादी भारतीय रेलों, सरकारी बसों, सड़कों, पुलों, सरकारी विद्यालयों, सरकारी अस्पताल और पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों के कैंप और उनके काफिलों प्रायः को निशाना बनाते है।

नक्सली आदिवासी-बहुल गांवों में जाकर प्रत्येक परिवार से एक बच्चे, किशोर, युवक या युवती को अपने सशस्त्र संगठनों में जबरदस्ती भर्ती करते हैं या बेरोजगारी, अशिक्षा, भूख, गरीबी का लाभ उठाते हुए उन्हें बहलाकर अपने साथ जोड़ लेते हैं। नक्सलवादी आज अत्याधुनिक लैपटॉपों, कंप्यूटरों, मोबाइल एवं सेटेलाइट फोनों से लैस हो चुके हैं तथा अपने खर्चों के लिए वे लोगों से रंगदारी भी वसूलते हैं।

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नक्सलवाद की समस्या के समाधान

Naksalwad ki Samasya ke Samadhan : अब नक्सलवाद आतंकवाद का रूप ले चुका है, इसीलिए इसका शीघ्र समाधान आवश्यक है। नक्सलवाद की समस्या का सही समाधान यही हो सकता है कि जिन कारणों से इसमें वृद्धि हो रही है, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाए। इसमें आदिवासी इलाकों के विकास से लेकर आदिवासी युवक-युवतियों को रोजगार मुहैया कराने जैसे कदम अत्यधिक कारगर साबित होंगे। नक्सलवाद से प्रभावित लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराकर व उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर नक्सलवाद को समाप्त किया जा सकता है। कुछ इलाकों में आदिवासी अपने हक के लिए भी लड़ रहे हैं। ऐसे इलाकों की पहचान कर उन्हें उनका अधिकार प्रदान करना अधिक उचित होगा। कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए एक व्यापक रणनीति बनाते हुए आदिवासी इलाकों का विकास करना अत्यंत आवश्यक है।

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उपसंहार

इस प्रकार नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा व चुनौती है। भारत सरकार ने इस समस्या के लिए अनेक कानून पारित किए है, लेकिन अब तक उन्हें उचित रूप से लागू नहीं किया जा सका है। इसके समापन के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। नक्सलवाद की समस्या का शीघ्र समाधान बहुत आवश्यक है।

निष्कर्ष –

HindiNote के लेख में हमने नक्सलवाद पर निबंध और नक्सलवाद क्या है, इसकी परिभाषा के बारे में विस्तार से बताया है। नक्सलवाद की समस्या और समाधान पर निबंध, से संबंधित आपका कोई भी प्रश्न हो तो कृपया आप Naksalvaad Par Nibandh PDF Download लेख के नीचे कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न भेजें, आपको उचित जानकारी दी जावेगी।

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