नमस्कार भाईयो और बहनों, हिन्दीनोट बेवसाइट पर आपका स्वागत है। आज के लेख में “महिला शिक्षा पर निबंध Essay on Women Education in Hindi” हिंदी भाषा में लिखा गया है। आज के समय में महिला (नारी) शिक्षा का बहुत महत्व है, लेकिन कुछ समय पहले भारत में महिला शिक्षा (पढ़ाई) को बहुत कम महत्व देते थे जिसके कारण आज भारत में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषो के मुकाबले बहुत कम है। आज भी गांवों में देखते होंगे लडकियो को स्कूल नही भेजा जाता है, जैसे ही लडकी थोड़ी बड़ी होती है कम उम्र उसकी शादी कर दी जाती हैं जो बिल्कुल गलत बात है।
महिला शिक्षा के बारे में निबंध के माध्यम से जानते जानते है कि महिला शिक्षा का क्या महत्व है, चलिए निबंध शुरू करते हैं।
महिला शिक्षा पर निबंध पीडीएफ
प्रस्तावना-
आज के जमाने में प्रत्येक मनुष्य चाहे वो पुरूष हो या महिला सभी के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है, खासकर महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आज प्रत्येक महिला को शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज का युग शिक्षा के प्रचार–प्रसार से पूर्ण विज्ञान का युग है। आज के युग में अशिक्षित होना एक महान् अपराध के सामान है। नारी शब्द का अर्थ है गुण प्रधान स्त्री व महिला। पहले महिलाओं को पढ़ाना उचित नहीं समझा जाता था। उन्हें पढ़ने के लिए विद्यालय में जाने की अनुमति नहीं थी।
पहले महिलाए रूढ़िवादी प्रथाओं रूपी जंजीरों में जकड़ी हुई थी, इसी कारण से हमारा भारत पूरी तरह विकास नही कर पाया क्योंकि इसकी अधिकतर आबादी अशिक्षित थी, लेकिन अब समय बदल गया है। अब हमारे देश की बालिकाएं विद्यालय पढ़ने जाती है, पढ़ती है और देश के विकास में योगदान देती है। केवल शिक्षित महिला ही अपने परिवार, आने वाली पीढ़ी तथा समाज का विकास व उनका मार्गदर्शन कर सकती है। शिक्षित महिला परिवार को आगे बढ़ाने में अच्छे से मार्गदर्शन करती है।
महिला शिक्षा से ही एक विकसित देश का निर्माण हो सकता है।
महिला के प्रति सोच
21वी सदी में भी कई लोग महिला की उपेक्षा (निरादर) करते है व उन्हें तुच्छ समझते है। इस सोच के पीछे का कारण यह है कि हमने अपने संस्कार, संस्कृति , शास्त्र आदि भुला दिए जिनमे महिला को लक्ष्मी, सरस्वती तथा काली का रूप बताया गया है अर्थात् महिला धन, विद्या तथा शक्ति तीनो प्राप्त अथवा ग्रहण कर सकती है। हमने कभी महिला के गुणों को कदर या पहचानने की कोशिश नहीं की। हमने यह नहीं समझा कि महिला मार्गदर्शन व परम मित्र की प्रतिमूर्ति है। महिला परिवार की कष्ट उठाकर निस्वार्थ सच्ची सेवा करने वाली है, माता के समान जीवन देने वाली अर्थात् रक्षा करने वाली है व धर्म के अनुकूल कार्य करने वाली है। महिला कठिन से कठिन परिस्थिति में भी परिवार की निस्वार्थ सेवा करती है लेकिन फिर भी हमारे समाज में महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए वो सम्मान नही मिलता, बालिकाओं की पढ़ाई लिखाई को गंभीरता से नहीं लिया जता है।
अशिक्षित होना इस सोच का दूसरा कारण है क्योंकि व्यक्ति कितना ही सुशील ,संस्कारी क्यों न हो अगर उसके पास शिक्षा नहीं है तो उसका व्यक्तित्व बड़ा नही हो सकता।
महिला शिक्षा की आवश्यकता
आज के युग में महिला कितनी ही सदाचारी और सभ्य क्यों न हो, अगर वह शिक्षित नहीं है तो उस की विशेषताओं व गुणों का कोई मान्य नहीं है, उसकी समझदारी भरी बात को दरकिनार कर दिया जाता है। अशिक्षित महिलाओं को लोग रूढ़िवादी प्रथाओं रूपी जंजीरों में जकड़ने की कोशिश कर उनको हर बात पर दबाया जाता है। आज के समय में भारत में महिला, पर्दा और लज्जा प्रथा की दीवारों से बाहर आ चुकी है क्योंकि वह पर्दा प्रथा से बहुत दूर निकल चुकी है। इसलिए आज इस शिक्षा प्रधान युग में अगर महिला शिक्षित नहीं हो तो उसका इस युग में कोई तालमेल नहीं हो सकता है और ऐसा न होने से वह महत्वहीन बन जाएगी। महिलाओं का पढ़ना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि पढ़ने से वो सिर्फ अपना ही नही बल्कि उसके परिवार, समाज तथा देश का विकास कर सकती है।
शिक्षित महिला जीवन के हर एक क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है और सफलता हासिल कर सकती है। केवल शिक्षित महिला ही देश के विकास में आई बाधाएं जैसे सामाजिक कुरीतियां , रूढ़िवादी प्रथाएं आदि का विरोध कर उन्हे समाज से उखाड़ फेक सकती है। इसलिए आज महिला को शिक्षित करने की आवश्यकता को ध्यान में लिया जा रहा है।
नारी शिक्षा का महत्व
देश के किसी भी समाज या राष्ट्र की निर्माण या प्रग्रति के लिए महिला शिक्षा का विशेष महत्व है, महिला शिक्षा का महत्व निर्विवाद रूप से मान्य है। यह बिना किसी तर्क या विचार–विमर्श के ही स्वीकार करने योग्य है क्योंकि महिला शिक्षा से ही महिला पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र बन सकती है। प्राचीनकाल में नारी शिक्षित नहीं होती थी, वह गृहस्थी के कार्य में व्यस्त होती हुई पतिव्रता होती थी। तब नारी देवी के समान श्रद्धा और विश्वास के रूप में देखी जाती थी। तब नारी–नर की अनुगामिनी होती थी और यही उसकी काबिलियत थी। पर आज के विज्ञान के युग मे महिला की योग्यता शिक्षित होना है।
जिस तरह शिक्षा के द्वारा हम किसी भी क्षेत्र में प्रवेश कर सकते है उसी तरह शिक्षा के द्वारा नारी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी योग्यता व प्रतिभा का परिचय दे रही है।
महिला (नारी) शिक्षा के उद्देश्य
महिला शिक्षा के उद्देश्य एक नही अनेक है। महिला शिक्षा नारी को आत्मनिर्भर होने में सहायता करती है और उसमे खुद पर भरोसा करने के गुणों का भी विकास करती है। शिक्षित नारी आज पुरुष के समान “अधिकार” प्राप्त कर सकती है। शिक्षित महिला मे आज पुरुष कि शक्ति और पुरुष का वही अद्भुत तेज दिखाई पड़ता है। महिला शिक्षा के द्वारा महिला अपनी प्रतिभा और शक्ति से कई अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दिखाई देती है। नारी शिक्षित होने के परिणामस्वरूप आज देश और समाज के एक से एक ऐसे बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रही है, जो पुरुष भी नहीं कर सकता।
शिक्षित महिला आजकल के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर कामयाबी हासिल कर रही है। आज नारी एक महान् नेता, समाज सेविका, चिकित्सक, निदेशक, वकील, अध्यापिका, मंत्री, प्रधानमंत्री आदि महान् पदो पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपनी अद्भुत क्षमता व योग्यता का परिचय दे रही है और देश के विकास में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
महिला शिक्षा के लाभ
महिला शिक्षा से महिलाओं में आत्म निर्भरता का गुण उत्पन्न होता है, वह स्वावलंबन के गुणों से युक्त होकर पुरुष को चुनौती देती है। अपने स्वावलंबन के गुणों के कारण ही महिला पुरुष की दासी व अधीन नही रहती है अपितु वह पुरुष के समान ही स्वतंत्र व स्वछंद होती है। शिक्षित होने के फलस्वरूप ही आज नारी समाज में सुरक्षित है और आज समाज महिला पर कोई अत्याचार नहीं करता। शिक्षित महिला के प्रति आज समाज में दहेज का कोई शोषण चक्र नहीं चलता है।
शिक्षित महिला को आज अनेक रूढ़िवादी प्रथाओं (जैसे सती प्रथा) का कोई कोप सहना नहीं पड़ता है। नारी शिक्षा के कारण ही नारी आज पुरुष व समाज दोनो के द्वारा सम्मानीय है।
महिला (नारी) शिक्षा की स्थिति
महिला शिक्षा के परिणामस्वरूप भारत में महिलाओं की स्थिति में पहले से काफी हद तक सुधार आया है। भारत मे महिला साक्षरता पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। फिर भी देश में बेरोजगार और अशिक्षित महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है। भारत देश में आज भी अधिकतर लड़कियां शिक्षा प्राप्ति के लिए विद्यालय नहीं जाती है। बहुत कम लड़कियों का विद्यालय में एडमिशन करवाया जाता है।
ग्रामीण महिलाओं की स्थिति शहरी महिलाओं की अपेक्षा और अधिक गरीब व खराब है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर ग्रामीण महिलाएं बेरोजगार व अशिक्षित है। वे बस घर के कामों में व्यस्त रहती है। इसका कारण यह है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों तक नारी शिक्षा की पहुंच अधिक नहीं है।
भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष महिलाओं से काफ़ी आगे है जहा पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है, वहीं महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 है। लेकिन नारी शिक्षा बहुत जल्द पूरे देश में व्याप्त होगी और देश की प्रत्येक नारी शिक्षित बनेगी।
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका
महिला का अर्थ होता है नारी व स्त्री और सशक्तिकरण का अर्थ होता है शक्ति या सत्ताधिकार संपन्न बनाना है। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य है महिला को अपने जीवन से जुड़े फैसले लेने के लिए स्वतंत्रता देना। महिलाओं को समानाधिकार देना। महिला सशक्तीकरण के लिए नारी शिक्षा पहला और मुख्य साधन है। केवल शिक्षित नारी ही आने वाली भावी पीढ़ी का सही मार्गदर्शन कर सकती है।
पढ़ाई-लिखाई से ही महिलाओं में फैसले लेने की क्षमता का विकास होता है, बिना शिक्षा प्राप्त किए महिला फैसले लेने में असमर्थ होती है। महिला सशक्तिकरण के लिए महिला शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
महिला शिक्षा के लिए सरकार की योजनाएं
महिला शिक्षा को देश के प्रत्येक कोने में पहुंचाने के लिए और इसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनाएं बनाई है जो निम्न है –
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
- किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)
- इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना
- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना
- प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना
- महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम (STEP)
निबंध निष्कर्ष-
आज प्रत्येक देश के विकास के लिए पुरूष के साथ साथ महिला का शिक्षित होना अत्यंत जरुरी है। शहरी महिलाओं व ग्रामीण महिलाओं दोनो का ही शिक्षित होना जरुरी है। महिलाओं का देश और समाज में सम्मानीय व महत्वपूर्ण स्थान होता है।
जब हर एक नारी शिक्षा प्राप्त करगी तो हमारे देश, समाज और परिवार के विकास , उनके मार्गदर्शन और उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करेगी। हम सभी को महिला शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए और इसके प्रति लोगो को जागरूक करना चाहिए। हर एक नारी को शिक्षित करना बहुत जरुरी है।
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FAQ,s
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महिला शिक्षा क्या है?
नारी शिक्षा नारी को शिक्षा से जोड़ने का एक साधन है। नारी शिक्षा नारियों के लिए बनाई गई एक शिक्षा प्रणाली है जो देश में पुरुष साक्षरता के साथ साथ नारी साक्षरता दर को बढ़ावा दे रही है।
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महिला शिक्षा क्यों जरूरी हैं?
किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रग्रति के लिए महिला शिक्षा का विशेष महत्व है, महिला शिक्षा का महत्व निर्विवाद रूप से मान्य है। यह बिना किसी तर्क या विचार–विमर्श के ही स्वीकार करने योग्य है क्योंकि महिला शिक्षा से ही नारी पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र बन सकती है।
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नारी (महिला) का अर्थ क्या है?
नारी शब्द का अर्थ है गुण प्रधान स्त्री व महिला।
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महिला शिक्षा के उद्देश क्या है?
महिला शिक्षा के उद्देश्य एक नही अनेक है। महिला शिक्षा प्राप्त कर ही नारी आत्मनिर्भर बनेगी है और उसमे खुद पर भरोसा करने के गुणों या स्वावलंबन होने का विकास होगा।
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महिला शिक्षा के लाभ क्या है?
महिला शिक्षा से नारी में आत्म निर्भरता का गुण उत्पन्न होगा। और वह स्वावलंबन के गुणों से युक्त होकर पुरुष को चुनौती दे सकती है। शिक्षित होने के फलस्वरूप ही आज नारी समाज में सुरक्षित है और आज समाज में नारी पर कोई अत्याचार नहीं करता।
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महिला शिक्षा की वर्तमान स्थिति?
भारत मे महिला साक्षरता पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। लेकिन भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष महिलाओं से काफ़ी आगे है जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है वहीं महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 है।
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स्त्री शिक्षा का परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
स्त्री शिक्षा प्राप्त कर नारी अपने परिवार का सही मार्गदर्शन व विकास कर सकती है। वह अपनी शिक्षा का उपयोग कर उसके परिवार को शिक्षित कर सकती है।
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भारत में स्त्री शिक्षा की क्या क्या समस्याएं है?
भारत में स्त्री शिक्षा की अनेक समस्याएं है, उदारण के लिए :
० समाजिक कुरीतियाँ व रूढ़िवादी प्रथाएं
० ग्रामीण क्षेत्रों में बालिका विद्यालयों का अभाव
० बाल विवाह
० बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओ की कमी
० आर्थिक समस्याएं -
भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए क्या – क्या कदम उठाए गए?
भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए नारी शिक्षा के प्रति लोगो को जागरूक करना होगा। इसके अलावा नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनाएं बनाई है, जैसे:
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रमकिशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनाकस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजनाक्या आज ग्रामीण समाज में स्त्री की स्थिति में पहले की तुलना में सुधार हुआ है?
आज ग्रामीण समाज में स्त्री की स्थिति में पहले से कुछ हद तक सुधार आया है लेकिन आज भी ग्रामीण महिलाओं की स्थिति अधिक खराब व दयनीय है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की सही व्यवस्था न होना इसका मुख्य कारण है।
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प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति क्या थी?
प्राचीन काल में नारी शिक्षित नहीं होती थी, वह गृहस्थी के कार्य में व्यस्त होती हुई पतिव्रता होती थी। तब नारी देवी के समान श्रद्धा और विश्वास के रूप में देखी जाती थी। तब नारी–नर की अनुगामिनी होती थी और यही उसकी काबिलियत थी।
आज क्या सीखा
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