इस पोस्ट में आपको भूकंप क्या है कैसे आता है What is Bhukamp in Hindi {(what is an earthquake)} के बारे में विस्तार से जानकारी बताई गई है।
क्या आप जानते है भूकंप किसे कहते है, भूकंप कैसे और क्यों आता है, भूकंप आने के कारण क्या है। अगर नही जानते कि Bhukamp Kya Hai और Bhukamp Kaise Aata Hai तो कोई बात नहीं, इस लेख भूकंप क्या होता है अचानक धरती पर भूकंप के झटके लगने के कारण और भूकंप के क्या दुष्परिणाम होते है के बारे में सही जानकारी देने वाले है। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा से जो कभी भी और कही भी आ सकती है और जनधन को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। आपने कुछ समय पहले ही न्यूज़ पर देखा होगा कि नेपाल में भीषण भूकंप के झटके लगे, पाकिस्तान में आया और दुनिया में सबसे बड़ा भूकंप साल 1960 में आया जिसकी तीव्रता 9.5 थी और 10 मिनट तक भूकंप के झटके लगे थे।
चलिए भूकंप के बारे में पूरी जानकारी में जानते है भूकंप क्या है और इसके आने के कारण एवम इससे सुरक्षा कैसे करे।
भूकंप क्या है What is Bhukamp
पृथ्वी की सतह का हिलना या कंपन करना भूकंप कहलाता है। यह एक ऐसी अवस्था है जो पृथ्वी के पृथ्वी अंदर से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों के उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न होती हैं।
भूकंप कैसे आता है । भूकंप क्यों आता हैं
हमारी धरती बारह टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इनके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में पाया जाता है। ये प्लेटें लावा पर तैरती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं तो धरातल पर इसका प्रभाव कंपन के रूप में होता है। पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह भूपर्पटी है। इसी भाग पर मानव सहित सभी जीव, पेड़-पौधे, नदियाँ, पहाड़, समुद्र आदि पाए जाते हैं। बीच वाले भाग को मेंटल कहते हैं। अंत में आंतरिक स्तर जिसे धात्विक क्रोड कहते हैं। भूपर्पटी और मेंटल दोनों को स्थलमंडल कहा जाता है। ये परतें लगभग पचास किलोमीटर मोटी होती हैं। इन्होंने टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। यह प्लेट्स अपनी जगह से इधर उधर हिलती रहती हैं। लगातार घूमने के कारण यह कभी कभी अपनी जगह से खिसक भी जाती हैं। कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के करीब आ जाती तो कभी दूर जाती रहती है और कभी कभी ये आपस में टकरा भी जाती हैं। जिस कारण धरती में कंपन होता है। ये प्लेटें सतह से लगभग 30 से 50 किलोमीटर अंदर होती हैं। इतनी दूरी से ऊर्जा तरंगों के निकालने के कारण यह एक बड़े स्तर पर फैल कर कंपन उत्पन्न करती हैं।
भूकंप का केंद्र व तीव्रता
भूकंप का केंद्र उसी स्थान को कहा जाता है जिसके नीचे इन प्लेटों में हलचल होती है और भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर बहुत अधिक कंपन होता है। कंपन की आवृति ज्यों ज्यों दूर होती जाती, इसका प्रभाव भी कम होता जाता है, परंतु यह इस बात पर निर्भर करता है कि भूकंप की आवृति ऊपर की तरफ है या दायरे में है। यदि कंपन की आवृति ऊपर की ओर होती है तो कम क्षेत्र में इसका प्रभाव पड़ता है। यदि यह आवृति दायरे में यानी चारो ओर हो तो इसका अधिक प्रभाव पड़ता है।
भूकंप के प्रकार
पृथ्वी में कई कारणों से कंपन उत्पन्न होता है, कंपन के इन कारणों के आधार पर भूकंप को अलग अलग भागों में बाँटा गया है।
1. विवर्तनिक भूकंप
यह भूकंप का सबसे सामान्य रूप है। यह पृथ्वी के क्रस्ट में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने से निकालने वाली ऊर्जा के कारण उत्पन्न होता है।
2. ज्वालामुखी भूकंप
ज्वालामुखी भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट के पहले या बाद में उत्पन्न होता है। ज्वालामुखी विस्फोट से पहले जब लावा बाहर निकलने के लिए तैयार होता है तो इसमें कंपन होता है। जिसके कारण भूकंप के झटके महसूस होते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद जब चट्टाने धरती से टकराती है या सतह पर गिरती हैं तब कंपन उत्पन्न करती हैं।
3. पतन भूकंप
यह भूकंप खनन के कारण उत्पन्न हो सकता है, यद्यपि खनन इसका परोक्ष कारक हो सकता है। यदि खनन के बाद खोदी गयी भूमि पर वापस से मिट्टी, पत्थर न भरकर उसे खाली ही छोड़ दिया जाए तो यह धीरे धीरे खिसककर नीचे आ जाती है और एक बड़े पैमाने में सतह के खिसकने के कारण कंपन उत्पन्न होता है। इसे पतन भूकंप कहते हैं।
4. विस्फोटक भूकंप
पिछले कुछ दशकों में नाभिकीय यंत्रो का काफी अधिक इस्तेमाल किया जाने लगा है। इन यंत्रों के द्वारा होने वाले विस्फोट के कारण, विस्फोट के स्थान के आस पास कंपन उत्पन्न होता है, इसे विस्फोटक भूकंप कहते हैं। इसकी तीव्रता विस्फोट की मात्रा पर आधारित होती है।
5. बाँध जनित भूकंप
बाँध कई प्रकार से मानव के लिए उपयोगी होते हैं, परंतु कई बार इसमें होने वाली गतिविधियों के कारण आस पास के क्षेत्र में कंपन उत्पन्न होता है इसे बाँध जनित भूकंप कहा जाता है। यह भूकंप बाँध के टूटने से भी उत्पन्न होता है।
भूकंप आने के कारण
भूकंप समान्यतः भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। जैसे:- भारी मात्रा में गैस प्रवास, ज्वालामुखी, भूस्खलन, नाभिकीय परिक्षेपण आदि।
भूकंप के दुष्परिणाम
प्राकृतिक आपदाएं सामान्यतः बहुत अधिक मात्रा में जान माल की हानि करने वाली होती हैं। भूकंप अपने साथ कई अन्य समस्याएं लेकर आता है –
कंपन :- पृथ्वी की सतह पर कंपन के कारण कई तरह की समस्यायें उत्पन्न होती हैं। इससे सतह पर उपस्थित वस्तुएं हिलने लगती हैं व कई बार अपना संतुलन खो देती हैं। सभी चीजे अस्त व्यस्त हो जाती हैं।
अंतर भूमि बंदोबस्त में बदलाव
भूकंप के कारण भूस्खलन उत्पन्न होता है जिससे कई बार एक बड़ा भाग अपना अस्तित्व खो देता है। जैसे धरती का उठा हुआ भाग नीचे धस अन्य निचले भाग से मिल जाता है या एक बड़ा क्षेत्र धस कर नीचे चला जाता है।
भूस्खलन
यह भूकंप से उत्पन्न होने वाली एक प्रमुख समस्या है। इसके कारण कई बड़े पहाड़ी क्षेत्र टूटकर नीचे आ जाते हैं।
मृदा द्रवीकरण
पृथ्वी पर सभी वस्तुयें तीन रूपों में पाई जाती हैं। ठोस, तरल, गैस। मृदा ठोस रूप में पायी जाती है। परंतु भूकंप के समय पृथ्वी के अंदर से निकलने वाली तरंगों के कारण यह अपने ठोस स्वरूप को छोड़ कर तरल स्वभाव में आ जाती है। अक्सर देखा जाता है कि भूकंपीय क्षेत्र की मृदा अन्य क्षेत्रों की मृदा से अधिक मुलायम हो जाती है। उसे हटाने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह पानी के ऊपर तैर रही हो।
ग्राउंड लर्चिंग
भूकंप की तरंगों के कारण कई बार सतह आगे की और खिसक जाती है। जिससे जमीन पर दरारें आ जाती हैं। इसे ग्राउंड लर्चिंग कहते हैं।
हिमस्खलन
जिस प्रकार भूस्खलन में मृदा और भूमि खिसक जाती है उसी प्रकार हिम के पहाडों में भी इसके प्रभाव से हिमस्खलन होता है। इसमें एक बड़ी मात्रा में हिम/बर्फ नीचे आ जाती है।
बाँध व सेतु के कारण बाढ़ आना
बांधों में बहुत अधिक मात्रा में बिजली व अन्य कारणों से पानी ठेहरा कर रखा जाता है। भूकंप के कंपन के कारण कई बार यह बाँध टूट जाते हैं और एक बड़े क्षेत्र में बाढ़ आ सकती है।
इमारतें व भवनों को नुकसान
भूकंप के कारण इमारतों व भवनों के गिरने का खतरा रहता है, इससे उन्हें बहुत अधिक नुकसान होता है।
जीवन को खतरा
भूकंप का सबसे बड़ा दुष्परिणाम जीवन की हानि है। भूकंप के उपर्युक्त सभी दुष्परिणामों का सबसे बड़ा प्रभाव जीवों पर ही पड़ता है।
सुनामी
यह भूकंप द्वारा उत्पन्न होने वाली एक प्रमुख व बड़ी आपदा है। भूकंप के कारण तटीय क्षेत्रों में अक्सर सनामी की झलक देखने को मिलती है।
भूकंप से बचने के उपाय
भूकंप प्रकृतिक आपदा का एक उदाहरण है जो बहुत अधिक मात्रा में जान माल को हानि पहुँचाता है। इससे बचाव के लिए निम्न उपाय करने चाहिए –
- भूकंप के समय यदि आप घर पर हों तो फर्श पर बैठ जाना चाहिए।
- किसी मजबूत मेज़ या फ़ुर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर व चेहरे को ढकना चाहिए।
- यादि रात में सोते वक्त भूकंप आये तो तकिये से सिर ढक लेना चाहिए।
- बिजली के सभी स्विच बंद कर देने चाहिए।
- अधिक तीव्र झटके महसूस होने पर घर के बाहर एक खुले मैदान में चले जाना चाहिए।
- यदि आप सड़क पर गाड़ी के अंदर हैं तो बाहर नहीं निकलना चाहिए।
- घर पर दरवाजे और खिड़कियों से दूर रहना चाहिए।
- घर के बाहर ऊँची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहना चाहिए।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए मर्कल्ली स्केल को प्रयोग में लाया जाता है। भूकंप का परिमाण मापने के लिए रिक्टर पैमाने का उपयोग किया जाता है। भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है। इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है। इसके जरिए भूकंप के केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है।
भारत में विभिन्न भूकंपीय छेत्र
भूकंप आने के खतरे को मध्य नज़र रखते हुए, देश को चार अलग अलग क्षेत्रों में बाँटा गया है। इन्हें भूकंपीय क्षेत्र या ज़ोन कहा जाता है। भारत में इसे चार ज़ोन में बाँटा गया है। ज़ोन 2 ,ज़ोन 3,ज़ोन 4,ज़ोन 5
सबसे पहला व खतरनाक ज़ोन 5 है। यहाँ भूकंप की तीव्रता 8 से 9 इकाई तक मापी जाती है। इसे रेड ज़ोन भी कहा जाता है। इसमें जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से, गुजरात का एक भाग, उत्तराखंड का एक बड़ा भाग, भारत के पूर्वी राज्य व अंडमान निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित हैं।
दूसरा ज़ोन 4 है। इसमें भूकंप की तीव्रता 7 से 8 इकाई तक मापी जाती है। इसे ऑरेंज ज़ोन भी कहा जाता है। इसमें भारत के उत्तरी, उत्तर पूर्वी राज्य, गुजरात का एक भाग व पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
तीसरा ज़ोन, ज़ोन 3 है। इसमें भूकंप की तीव्रता 6 से 7 मापी जाती है। इसे येल्लो ज़ोन भी कहा जाता है। इसमें मध्य भारत का अधिकतर भाग शामिल है।
चौथा ज़ोन,ज़ोन 2 है। इसमें भूकंप की तीव्रता 6 से कम रहती है। इसे ब्लू ज़ोन कहा जाता है। इसमें दक्षिण भारत के कुछ राज्य, मध्य व दक्षिण पूर्वी राज्य व लक्षद्वीप शामिल हैं।
दुनिया के 5 सबसे बड़े व खतरनाक भूकंप
- 1811 न्यू मैड्रिट अमेरिका : यह भूकंपों का एक ऐसा क्रम था जो 16 दिसंबर 1811 से शुरू हुआ और अप्रैल 1812 तक रहा। यह भयानक भूकंप मिसीसिपी वेली में आया था। इसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस भूकंप के बाद मिसीसिपी नदी का पानी उलटी दिशा में बेहने लगा था। 1811 में 8.6 इकाई का भूकंप आया जिससे जमीन पर खतरनाक दरारें पड़ गई और कई पेड़ तक दो हिस्सों में बँट गए। कई एकड़ में फैले जंगल बाढ़ से भर गए और जान माल की बहुत अधिक हानि हुई। इसके बाद जनवरी 1812 में दोबारा 8.4 इकाई का भूकंप आया इस समय तक काफी लोग बेघर हो चुके थे, इसलिए उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं बचा था। इसके बाद फरवरी में 8.8 इकाई की माप का भूकंप आया था मिसीसिपी नदी का पानी भूरा हो गया और नदी में भँवर बन गए। नदी में बने कई छोटे द्वीप डूब गए व कई नावें नष्ट हो गई और इसी भूकंप के कारण एक बड़ी सी झील का निर्माण हुआ था।
- 1960,चिली, दक्षिण अमेरिका: यह अब तक का सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। यह भूकंप 9.5 इकाई मापा गया था। यह 22 मई 1960 को आया था और लगभग 10 मिनट तक रहा। इससे 10.7 मीटर ऊँची लहरों वाली सुनामी आई थी। जिसने तटीय इलाकों में बहुत अधिक तबाही मचा दी थी। इससे हज़ारों लोगों की जान चली गई थी। इससे उस क्षेत्र का बिजली व पीने का पानी नष्ट हो गया था। इस भूकंप के कारण लगभग 20 लाख लोग बेघर हो गए थे। इसके बाद चिली में 2010 में दोबारा 8.8 इकाई का भूकंप आया था और इस भूकंप का असर इतना खतरनाक था कि इसने हमारी पृथ्वी को उसके अक्ष से थोड़ा खिसका दिया था।
- 1964 सयुक्त राज्य : यह भूकंप 28 मार्च 1964 में आया था। यह 9.2 इकाई का था। इससे प्रिंस विलियम साउंड अलास्का का क्षेत्रफल भी प्रभावित हुआ था। मार्च 27 1964 को लोकल टाइम के अनुसार यह भूकंप 5: 30 बजे शाम के समय आया था। यह लगभग 4.5 मिनट तक रहा। उत्तरी अमेरिका का यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इससे भीषण सुनामी आई थी, जिसने अलास्का की खाडी, अमेरिका के पश्चिम तट व हवाई को बुरी तरह से प्रभावित किया था इस सुनामी के कारण लगभग 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हालांकि जनसंख्या कम होने के कारण जान माल की अधिक हानि नहीं हुई।
- 2004 दक्षिण भारत : 26 दिसंबर 2004 को दक्षिण भारत में 9.2 इकाई का भूकंप आया था। इस दिन सुनामी ने भारत की कई शहरों में मौत तांडव किया था। 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में लगभग 9.2 इकाई का भूकंप आया था जिससे हिंद महासागर में भयानक सुनामी आई जिससे दुनियाभर में लगभग 2.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। भारत में 17000 से ज्यादा लोग मारे गए।
- 2011 जापान : जापान दुनिया के उन इलाकों में से है जहाँ बहुत अधिक भूकंप आते हैं। 11 मार्च 2011 को 9.0 इकाई का भूकंप उत्तर पूर्वी जापान के तट पर आया था। जिससे निकली हुई सुनामी ने हज़ारों लोगों की जान ले ली थी। इस भूकंप ने जापान की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था।
भूकंप कैसे आता है
पृथ्वी की सतह का हिलना या कंपन करना भूकंप कहलाता है। यह एक ऐसी अवस्था है जो पृथ्वी के पृथ्वी अंदर से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों के उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न होती हैं।
भूकंप के प्रकार कितने होते है
1. विवर्तनिक भूकंप
2. ज्वालामुखी भूकंप
3. पतन भूकंप
4. विस्फोटक भूकंप
5. बाँध जनित भूकंप
भूकंप आने के कारण क्या है
भूकंप समान्यतः भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। जैसे:- भारी मात्रा में गैस प्रवास, ज्वालामुखी, भूस्खलन, नाभिकीय परिक्षेपण आदि।
यह भी पढ़े –
- सौर मंडल क्या है, सौर मंडल की उत्पत्ति कैसे हुई
- ब्रह्मांड क्या है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई
- पृथ्वी का क्षेत्रफल कितना है
- क्रूड ऑयल क्या है, इससे क्या बनता है
- भारत के प्रमुख जलप्रपात
- विश्व के जलप्रपात की सूचि
निष्कर्ष –
हमे उम्मीद है कि भूकंप (भूकम्प) की परिभाषा से आपको भूकंप क्या होता है और कैसे एवं क्यों आता है, इसके आने के कारण क्या है आपको सही लगा होगा। हमने पूरा प्रयास किया है कि Bhukamp Kya Hota Hai और Bhukamp Kaise और Kyo Aata Hai के बारे में आपको समझाने का। अगर आपको भूगोल विषय के इस लेख What is Bhukamp in Hindi से संबंधित कोई सवाल हो तो हमे कमेंट में बताए आपको और भी अच्छे से समझाया जायेगा।
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