समाज में मीडिया की भूमिका एवं समस्याएं

समाज में मीडिया की भूमिका एवं समस्याएं। Samaj Mein Media Ki Bhumika evam Samsayane

प्रिय पाठकों! आज आपको “भारतीय समाज (लोकतंत्र) में मीडिया की भूमिका और समस्याएं” के बारे में जानकारी बताई गई है। चलिए जानते है Samaj Mein Media Ki Bhumika evam Samsayane

मीडिया अंग्रेजी शब्द “Medium” का बहुवचन है जिसका अर्थ है समाचार संचार के साधन। मूलतः अंग्रेजी शब्द होते हुए भी इसे हिंदी में भी स्वीकार कर लिया गया है क्योंकि इसका हिंदी रूपांतरण काफी लंबा हो जाता है।

मीडिया एक व्यापक परिभाषिक शब्द है जिसमें समाचार संचार के अनेकों साधन सम्मिलित है। पुराने समय में समाचार पत्र पत्रिकाएं और रेडियो मीडिया के मुख्य साधन थे। लेकिन अब वैज्ञानिक उन्नति और बढ़ते डिजिटल समय के साथ-साथ यह शब्द और व्यापक हो गया है और अब इसके अंतर्गत समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट भी आते हैं।

भारतीय समाज में मीडिया की शुरूआत

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(ए) में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है और जो उल्लेख किया गया है वह केवल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। संविधान सभा के वाद-विवाद में प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि प्रेस की स्वतंत्रता का कोई विशेष उल्लेख आवश्यक नहीं था क्योंकि प्रेस और एक व्यक्ति या एक नागरिक एक ही थे जहाँ तक उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार का मामला था।

इसलिए भारतीय लोकतंत्र में कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति मीडिया में काम कर भारतीय समाज में मीडिया की भूमिका निभा सकता है।

मीडिया के प्रकार

समाचार पत्र और पत्रिकाओं को प्रिंट मीडिया अर्थात प्रेस में छपी सामग्री को प्रिंट मीडिया कहते हैं।

अन्य समाचार संचार के साधन टेलीविजन और स्मार्टफोन पर इंटरनेट के द्वारा प्राप्त होने वाली सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कहते हैं।

मीडिया की भूमिका का इतिहास

प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों ने मिलकर समाचार संचार के क्षेत्र में एक क्रांति सी ला दी है। आज घर बैठे हम अपने टेलीविजन का बटन घुमाकर और स्मार्टफोन पर भारत और विश्व में घटने वाली समस्त घटनाओं की सूचना पढ़ सकते हैं।

हमारा देश लोकतांत्रिक शासन प्रणाली वाला देश है। 15 अगस्त 1947 से पहले भारत माता परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी थी। भारतवासी अंग्रेजी शासन के अधीन शोषित, दलित व उत्साहीन थे। समाचार संचार माध्यमों ने ही भारतीय जनमानस में अपने राजनीतिक अधिकारों की मांग का उत्साह भर दिया।

सन 1776 ईस्वी में अमेरिका के निवासियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध स्वाधीनता युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध में अंग्रेजो की भीषण पराजय हुई तथा सन 1789 ईसवी में विश्व के मानचित्र पर संयुक्त राज्य अमेरिका नामक एक नए लोकतांत्रिक शासन प्रणाली वाले देश की स्थापना हुई।

समाचार संचार के माध्यमों के द्वारा अमेरिकी क्रांति की घटना अन्य देशों के साथ फ्रांस में भी पहुंच गई तथा समाचार संचार माध्यमों के द्वारा ही फ्रांसीसी जनता ने फ्रांस दार्शनिक व राजनीतिक विचारकों जैसे रूसो, मंडेस्कयू, वाल्टेयर तथा दिदरो व क्वेसेन जैसे लेखकों के विचारों को समझा और सन 1789 ईसवी में क्रांति का बिगुल बजा दिया। इस क्रांति से सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था का अंत कर दिया और लोकतंत्र व्यवस्था को एक मजबूत आधार प्रदान किया।

इन क्रांतियों और जन भावनाओं को समाचार संचार (मीडिया) ने विभिन्न देशों में प्रसारित किया। इसी प्रकार सन 1917 की रूसी क्रांति का बाद विश्व के दूसरे देशों की राजनीतिक विचारों व गतिविधियों में समाचार संचार माध्यमों ने हमारे देश में भी समाचार प्रसारित किया और हमारे देशवासी भी सदियों से चली आ रही गुलामी से मुक्त होने के लिए जागृत हो गए।

आजादी में मीडिया की भूमिका

समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के द्वारा प्रबुद्ध वर्ग ने सोई हुई भारतीय समाज की मानसिकता को जगाया। भारत के युवा वर्ग जाग उठे और स्वतंत्रता के महायज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने के लिए अनेक युवा देश भक्तों ने संकल्प लिया। समय-समय पर युवाओं का उत्साह कभी ठंडा पड़ने लगता तो मीडिया उन्हें नया जीवन व नया उत्साह डाल देते।

15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ और इसके बाद भारत में लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली की स्थापना हुई। इस प्रकार हमारे देश की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थापना में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

मीडिया की भूमिका ही थी कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन फ्रांस और पुर्तगाल आदि साम्राज्यवादी देशों के उपनिवेशों में स्वतंत्रता की मांग ने जोर पकड़ा और धीरे-धीरे सारे गुलाम उपनिवेश स्वतंत्र हो गए और वहां लोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना हो सकी।

समाज को मीडिया से लाभ

लोकतांत्रिक व्यवस्था में “लोगों का लोगों के लिए लोगों द्वारा शासन होता है” किंतु अधिकार बड़ा मादक व सारहीन होता है। अतः लोकतंत्र में सत्ता में बैठे व्यक्ति सत्ता के मद में विचलित हो सकता है। इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया सरकार की सही और गलत नीतियों का विश्लेषण कर जनता तक पहुंचाती है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति टी. जैफसर्न का मीडिया के प्रति मत – यदि हमें सरकार युक्त किंतु प्रेस विहीन राष्ट्र और प्रेस युक्त किंतु सरकार विहीन राष्ट्र में से किसी एक को चुनना हो तो में बाद वाली व्यवस्था को चुनूंगा।

अर्थात किसी राष्ट्र में सरकार हो या ना हो परंतु प्रेस (मीडिया) अवश्य होना चाहिए जिससे जन-मानस को सही दिशा दी जा सके। कभी-कभी सरकार को अपने स्त्रोतों से यह ज्ञात नहीं हो पाता है कि कहां-कहां उसके शासन में अन्याय व अत्याचार हो रहा है किंतु मीडिया शासन को ऐसी खामियों से न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों द्वारा अवगत कराती है।

मीडिया ने हमेशा लोकतंत्र की रक्षा करने का प्रयास किया है। सन 1975 से 1977 तक 2 वर्षों के आपातकाल के दौरान राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अत्याचार किए जाते रहे। मीडिया के सैकड़ों लोगों को भी जेल में डाल दिया गया। और कुछ अखबार वालों ने तो डर के मारे सरकार के सामने घुटने टेक दिए, किंतु कुछ अखबार सरकार के खिलाफ देखते रहे और सरकार के खिलाफ जनमत तैयार किया जिसके फल स्वरुप तत्कालीन शासन दल पराजित हुए और जनता दल की सरकार बनी। इस प्रकार बोफोर्स तोप सौदे की दलाली को लेकर मीडिया ने राजीव गांधी सरकार के खिलाफ सशक्त जनमत तैयार किया और परिणाम स्वरूप में हार गए।

मीडिया की अहम भूमिका यह भी है कि यह देश के किसी हिस्से में आई प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, अकाल, तूफान, भूकंप आदि के दौरान सरकार उचित सहायता पहुंचा रही है कि नहीं इस पर भी नजर रखती है। ऐसी परिस्थिति में सरकार की कोई कमी नजर आती है तो उस को उजागर कर जनता तक पहुंचाती है और सरकार को सचेत करती है।

समाज के हित में मीडिया ने देश में हुए बड़े घोटालों जैसे चारा घोटाला, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया घोटाला आदि को लोकतंत्र में स्वतंत्र मीडिया जनता को सदैव जागरूक करती रही है।

मीडिया द्वारा भारत और विश्व में आई कोरोना जैसी महामारी से लोगों को जागरूक किया। कोरोनावायरस से बचने के उपाय न्यूज़ टेलीविजन और द्वारा आमजन तक पहुंचाएं। कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के आंकड़ों को जनता के सामने रखा और सरकार को सचेत किया। इसके अलावा कोरोनावायरस सरकार की खामियों को मीडिया ने समाचार पत्रों और टीवी न्यूज़ चैनलों द्वारा समाज तक पहुंचाया।

समाज में मीडिया उपरोक्त तथ्यों की भूमिका के अलावा कई क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया। जैसे मानवाधिकार, पर्यावरण प्रदूषण, जनसंख्या विस्फोट, खेती-बाड़ी, स्वास्थ्य शिक्षा से संबंधित सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं के बारे में जानकारी पहुंचाकर लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभा रही है।

वर्तमान समय में भारत में न्यूज़ चैनल जैसे आज तक, ज़ी न्यूज़, एनडीटीवी इंडिया, रिपब्लिक भारत, डीडी न्यूज़ द्वारा टीवी चैनल एवं इंटरनेट पर और समाचार पत्रों दैनिक भास्कर, पत्रिका, हरिभूमि, टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचा जाता है।

और पढ़ें:-

नारी शिक्षा पर निबंध

बाल श्रम के कारण, परिणाम, कानून और सजा

Ti Full Form in Police : टीआई का फुल फॉर्म क्या होता है

मीडिया की समस्याएं और चुनौतियां

मीडिया की समस्याएं और चुनौतियों में मीडिया ने सरकार की नीतियों और निर्णयों को लोगों तक आसानी से पहुँचाया है और लोगों का विश्वास जीतने में सफलता पायी है। लेकिन बदलते समय में मीडिया (Press) के सामने कई समस्याएं और चुनौतियाँ भी देखने को मिल रही है। मीडिया की समस्याएं और चुनौतियां निम्न हैं –

भारत में प्रेस को लाने का प्रमुख मकसद था कि लोगों तक सही सूचना पहुंचाकर उनके सामाजिक जीवन स्तर को ऊपर लाना और समाज में एकता लाना। लेकिन वर्तमान समय में मीडिया सामाजिक दायित्व को छोड़कर एक उत्पाद बेचने वाला बन गया है।
• आज ज्यादातर उत्पादों का प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से हो रहा है।
• मीडिया को इस उद्देश्य से भी लाया गया था कि सरकार और उद्योगपतियों के बीच कोई सांठ गांठ न बनने पाए और लोगों को सही जानकारी मिले कि कौन-सा उद्योगपति किस पार्टी को समर्थन करता है।
• आज के समय में मीडिया के ऊपर प्रभुत्व कई उद्योगपतियों ने स्थापित कर लिया है जिससे मीडिया द्वारा उद्योगपतियों और सरकार के बीच यदि कोई अनुचित साठ- गाँठ हो तो उसको उजागर करने के बजाय जनता में गलत जानकारी के प्रसार करने की संभावना बढ़ जाती है।
• समाचार पत्र (अकबार) के अन्दर कोई न्यूज अगर छपती है तो उसका स्रोत बताया जाता है उसको फिल्टर किया जाता है, इससे लोगों को सही और सटीक जानकारी उपलब्ध होती है लेकिन वर्तमान में डिजीटल सोशल मीडिया के दौर में न ही किसी स्रोत का पता होता है कि न्यूज कहाँ से आई है और न ही उसको फिल्टर किया जाता है। बस उसको शेयर कर दिया जाता है और लोग उसी न्यूज को सच मान लेते हैं।
• वर्तमान समय में मीडिया पर लोगों का काफी विश्वास है, अगर मीडिया में कोई न्यूज चलती है तो लोग उस पर 99% भरोसा करते है। किंतु कुछ परिदृश्य में मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह भी उठने लगे हैं।
• आप और हम अक्सर देखते हैं कि मीडिया के संपादक या मीडिया के संचालक कुछ रुपयों की वजह से उस सूचना का या न्यूज को अपने समाचार पत्र पर छापते है या इंटरनेट या टीवी चैनल के जरिए प्रसार करते हैं। जिससे उद्योगपतियों का फायदा हो।
• आज मीडिया में काम करने वाले मीडियाकर्मीयों का पहला लक्ष्य पैसा कमाना बन गया है। मीडिया मुनाफे के बाजार के रूप में तब्दील हो गया है। लेकिन कुछ मीडियाकर्मी बहुत ईमानदार भी होते है।
• वर्तमान में प्रेस कर्मियों की नैतिकता और उनके आचरण पर सवालिया निशान लग गए हैं।
• मीडिया के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों में प्रशिक्षण का अभाव है। बहुत से मीडिया कार्यालयों में अयोग्य और अक्षम व्यक्ति कार्य कर रहे हैं।
• ज्यादातर यही देखने में आता है कि कोई भी कम एजुकेटेड व्यक्ति मीडियाकर्मी का काम करने लग जाता है जिसको ना तो संविधान का ज्ञान होता है और ना ही कानून का, सही और गलत को समाज तक पहुंचाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाता है।
• उन्हें यह भी नहीं पता है कि कौन सी न्यूज को किस तरह से दिखाना है और किस तरह से नहीं तथा कौन सी न्यूज को प्राथमिकता देनी है।
• देश में बहुत सारी समस्याएँ हैं, लेकिन मीडिया को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है। चाहे हम किसानों की आत्महत्या की बात करें या फिर महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों या अपराधों की, मीडिया में ऐसे मामलों को जगह देने में या तो कंजूसी दिखाई जाती है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती। फिर एक और चिंताजनक पहूल मीडिया का दोहरा रवैया है वह सिर्फ शहरों की घटनाओं और समस्याओं को लेकर गंभीर दिखता है।
• शहरों में भी मध्यवर्ग की समस्याएँ ही उसे अधिक परेशान करती हैं। मसलन, बारिश से यदि घंटे-दो-घंटे भी यातायात जाम हो जाए तो टीवी चैनलों पर चीख-पुकार शुरू हो जाती है, मगर जिन इलाकों के लोग बरसों से पानी के लिए तरसते रहते हैं उनकी सुध तक नहीं ली जाती।
• मीडिया के कवरेज में काफी बदलाव आया है। कई बार ऐसा लगता है कि मीडिया व्यत्तिफ़-केंद्रित हो चुका है। कुछ नाटकीयता और अतिरंजना के साथ कार्यक्रम परोसकर दर्शकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा लगता है कि मीडिया अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भाग रहा है।
• अक्सर आप देखते हैं कि न्यूज़ चैनलों पर विज्ञापन जरूरत से ज्यादा दिखाए जाते हैं इसको देख कर लगता है कि मीडिया अपने कार्य को कम प्राथमिकता देकर पैसा कमाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
• 21वी सदी के डिजीटल समय में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दोनों माध्यमों के सामने अपनी विश्वसनीयता बचाने की बहुत बड़ी चुनौती है। इंटरनेट के जमाने में इनकी लोकप्रियता में कमी आई है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका और उन पर निर्भरता लगातार कम होती जा रही है।
• वर्तमान में समाज में 80% प्रतिशत से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसका दायरा धीरे-धीरे ओर बढ़ता जा रहा है।

और पढ़ें:-

भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध

संयुक्त राष्ट्र संघ पर निबंध

भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध

FAQ,s – मीडिया की भूमिका

  • प्रश्न – मीडिया से आप क्या समझते हैं?

    उत्तर – मीडिया एक व्यापक परिभाषिक शब्द है जिसमें समाचार संचार के अनेकों साधन सम्मिलित है। पुराने समय में समाचार पत्र पत्रिकाएं और रेडियो मीडिया के मुख्य साधन थे। लेकिन अब वैज्ञानिक उन्नति और बढ़ते डिजिटल समय के साथ-साथ यह शब्द और व्यापक हो गया है और अब इसके अंतर्गत समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट भी आते हैं।

  • प्रश्न – मीडिया कितने प्रकार के होते हैं?

    उत्तर – 1. समाचार पत्र और पत्रिकाओं को प्रिंट मीडिया अर्थात प्रेस में छपी सामग्री को प्रिंट मीडिया कहते हैं।
    2. समाचार संचार के साधन टेलीविजन और स्मार्टफोन पर इंटरनेट के द्वारा प्राप्त होने वाली सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कहते हैं।

  • प्रश्न – मीडिया की शुरुआत कब हुई?

    उत्तर – भारत में मीडिया की शुरुआत लगभग आजादी के समय हो गई थी लेकिन 26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ तभ संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में प्रेस की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(ए) में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है और जो उल्लेख किया गया है वह केवल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। संविधान सभा के वाद-विवाद में प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि प्रेस की स्वतंत्रता का कोई विशेष उल्लेख आवश्यक नहीं था क्योंकि प्रेस और एक व्यक्ति या एक नागरिक एक ही थे जहाँ तक उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार का मामला था।

  • प्रश्न – मीडिया का उद्देश्य क्या है?

    उत्तर – लोकतांत्रिक व्यवस्था में “लोगों का लोगों के लिए लोगों द्वारा शासन होता है” किंतु अधिकार बड़ा मादक व सारहीन होता है। अतः लोकतंत्र में सत्ता में बैठे व्यक्ति सत्ता के मद में विचलित हो सकता है। इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया सरकार की सही और गलत नीतियों का विश्लेषण कर जनता तक पहुंचाती है।

  • प्रश्न – मीडिया (Media) शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

    उत्तर – मीडिया अंग्रेजी शब्द “Medium” का बहुवचन है जिसका अर्थ है समाचार संचार के साधन। मूलतः अंग्रेजी शब्द होते हुए भी इसे हिंदी में भी स्वीकार कर लिया गया है क्योंकि इसका हिंदी रूपांतरण काफी लंबा हो जाता है।

निष्कर्ष –

दोस्तों! उपरोक्त लेख में भारतीय लोकतंत्र यानी भारतीय समाज में मीडिया की भूमिका और समस्याएं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी बताई गई है। Bhartiya samaj mein media ki bhumika aur samasyaen लेख आपको अच्छा लगा हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

अगर आपको लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका और समस्याएं (loktantra mein media ki bhumika) लेख से संबंधित कोई प्रश्न हो तो सेंड कर सकते हैं आपके प्रश्न का संतोषजनक उत्तर हमारी तरफ से भेजा जाएगा।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *