होली पर निबंध – Essay on Holi in Hindi

होली पर निबंध हिन्दी मे essay on holi in hindi

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होली पर्व आने वाला है, होली क्यों मनाई जाती है, होली कैसे मनाई जाती है, होली की पौराणिक कथाएं क्या है, होली की परंपरा क्या है, वृंदावन की होली, बरसाना की होली, पंजाब का होला–मोहल्ला, कुमाउ की होली, होली का महत्व की जानकारी होली पर निबंध लेख मे विस्तार से बताई गई है, चलिए होली पर निबंध लिखना शुरू करते है.

होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi

प्रस्तावना- होली रंगो का त्योहार है। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन पर फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े उत्साह व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग आनंद से झूमते, भाईचारा व प्रेम की भावना से एक दूसरे को रंग लगाते व मिठाईयां खिलाते है। घर घर में जाकर होली की शुभकामनाएं देते है, महिलाए अलग अलग स्वादिष्ट पकवान बनाकर उन्हें आस पड़ोस में बाटती है व सभी लोग आपसी बैरभाव भूलकर एक दूसरे से गले लगते है होली दो दिन का त्योहार है।

पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसके लिए घरो से लकड़ियां तथा अन्य सामग्री इकट्ठी की जाती है। होलिका के दूसरे दिन लोग गुलाल और फूलो से होली खेलते है। होली भारत देश के साथ साथ अन्य देशो में भी खेली जाती है। होली का त्योहार प्रेम, आनंद तथा उत्साह का त्योहार है।

होली की पौराणिक कथा legend of holi –

हमारे हर एक धार्मिक त्योहार से संबंधित कोई न कोई पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। होली के त्योहार से भी सम्बन्धित एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है , जो बताती है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है। होली के सम्बन्ध में कहा जाता है कि प्रहलाद दैत्तय राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र था। होलिका प्रहलाद की बुहा थी। हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानता था परंतु प्रहलाद भगवान नारायण का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई बार समझाया परंतु प्रहलाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी परिणामस्वरूप हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को अनेक दंड दिए परंतु उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

तब होलिका उसे लेकर अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गई क्योंकि उसे आग से न जलाने का वरदान मिला हुआ था। पर प्रहलाद को गोद में लेकर आग पर बैठने से होलिका उस अग्नि में जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से लेकर आज तक बुराई को समाप्त करने के लिए होली के एक दिन पहले होलिका जलाते है और अगले दिन रंगो से होली खेलते है।

होली की परंपरा Holi Tradition –

यह अत्यंत प्राचीन त्योहार है और इसके साथ साथ इसकी परंपराएं भी अत्यन्त प्राचीन है। प्राचीन काल में यह पर्व महिलाओं द्वारा परिवार की सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता था। इस दिन चांद की पूजा करने की परंपरा थी। वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। इस यज्ञ में खेत के अधपके अन्न को दान करके प्रसाद लेने की परंपरा थी।

आज के समय में होली की परंपरा स्वरूप किसी सामाजिक स्थल या अन्य स्थल पर झंडा व डंडा गाड़ते है। इसके पास ही होलिका की अग्नि इक्ट्ठी की जाती है। होली के पहले दिन होलिका जलाते है।

होलिका में लकड़ियां व उपले जलाए जाते है। होलिका फाल्गुन मास की पूर्णिमा को जलाते है, इसकी तैयारियां काफी दिन पहले ही शुरू हो जाती है। और अगले दिन जिसे धुलेंडी या धूलिवंदन कहा जाता है, सभी जगह रंगो की धूम मच जाती है। होली के दिन सबसे ज्यादा उमंग व उत्साह बच्चो में दिखाई देता है।

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होली महोत्सव Holi Festival –

भारत विभिन्नताओं का देश है। यहा प्रत्येक त्योहारों को अलग अलग रीति रिवाज से मनाया जाता है।
होली का त्योहार भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग रीति रिवाज से मनाया जाता है। पूरे भारत में वृंदावन व बरसाने की होली सर्वाधिक प्रसिद्ध है। कई फूलो से तो कई पानी से होली खेलते है। आइए भारत में विभिन्न क्षेत्रों की होली के बारे में विस्तारपूर्वक जानते है-

वृंदावन की होली Holi of Vrindavan –

वृंदावन भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में स्तिथ है। वृंदावन में होली बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यहाँ की होली पूरे भारत में प्रसिद्ध है। होलि महोत्सव के दौरान वृंदावन के प्रत्येक घर में खुशियां छा जाती है। वृंदावन में होली की शुरआत एकादशी से हो जाती है। राधा कृष्ण के मंदिरों में शुभ गीत गाए जाते है व फूलों से होली खेलते है।

यहां होली सात दिनों तक खेलते है। पहले फूलो से, फिर गुलाल से और गीले रंगों से होली खेली जाती है।

बरसाना की होली Holi of Barsana-

ब्रज के बरसाना की होली भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहां लठमार होली खेली जाती है। यहां होली को राधा कृष्ण के प्रेम से जोड़ कर देखते है। जब नंदगांव से होली खेलने के लिए आए पुरुष बरसाने की महिलाओं को रंग लगाते तब महिलाए उनको लाठी से मरती है। होली महोत्सव के दौरान यहां मोटे तौर पर महिलाएं व पुरुष दोनों ही भाग लेते है।

पंजाब का होला मोहल्ला Hola mohalla of Punjab –

होला–मोहल्ला पंजाब के आनंदपुर साहिब में लगने वाला सिख धर्म के लोगो का मेला है। यहां लोगो पर भारी मात्रा में रंग फेके जाते है। इसके अलावा यहां के पुरुष अपना साहस व शौर्य दिखाते हुए तलवारबाजी करते हुए शक्ति प्रदर्शन करते है। यह मेला होली के अगले दिन लगता है।

कुमाउ की होली Kumaon Holi –

कुमाउ उत्तराखंड राज्य में स्तिथ है। यहां की होली को कुमाऊनी होली कहते है। यहां होली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यहां होली का त्यौहार संगीत समारोह के रुप में मनाया जाता है। यहां अलग अलग संगीत गाए जाते है। इस समारोह में लोग आनंद व खुशी महसूस करते है।

निष्कर्ष –

शीतकाल की समाप्ति और ग्रीष्म के आरम्भ की सूचना देने वाला होली का त्योहार हमें जीवन में उत्साह, आपसी बैर भाव भूलकर एक दूसरे से मित्रता करने व सदा प्रसन्न रहने की प्रेरणा देता है।

बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य, पाप पर पुण्य की जीत का प्रतीक होली के त्योहार का सामाजिक महत्व है। प्रेम , एकता और त्याग इस त्योहार के मूल आदर्श हैं। इस पर्व के दौरान मनुष्य सारे मतभेद भुलाकर एक दूसरे को गुलाल लगाते है और अपने अंदर की सारी बुराइयों का नाश कर अच्छाई का मार्ग अपनाते है।

FAQ,s

Q – 2022 होली कब है?
Ans – 2022 होली सोमवार 29 मार्च को है

Q- होली किस तारीख को है ?
Ans- 18 मार्च 2022

Q- होली किस महीने में है ?
Ans – होली मार्च के महीने मे है 2022

Q – Holi kis tarikh ko hai 2022 ?
Ans – holi 29 march 2022 ko hai

Q – holi kis din hai ?
Ans – Monday 29 मार्च 2022

Q – होली का महत्व क्या है ?
Ans – बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य, पाप पर पुण्य की जीत का प्रतीक होली के त्योहार का सामाजिक महत्व है।

Q- होली का इतिहास क्या है ?
Ans – प्रहलाद को गोद में लेकर आग पर बैठने से होलिका उस अग्नि में जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से लेकर आज तक बुराई को समाप्त करने के लिए होली के एक दिन पहले होलिका जलाते है और अगले दिन रंगो से होली खेलते है।

Q – होली का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है ?
Ans – होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन पर फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग पर बैठने से होलिका उस अग्नि में जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से लेकर आज तक बुराई को समाप्त करने के लिए होली के एक दिन पहले होलिका जलाते है और अगले दिन रंगो से होली खेलते है।

Q – होली का प्राचीन नाम क्या है ?
Ans – होलिका या होलाका

Q – होली की शुरुआत कैसे हुई?
Ans – प्रहलाद को गोद में लेकर आग पर बैठने से होलिका उस अग्नि में जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से लेकर आज तक बुराई को समाप्त करने के लिए होली के एक दिन पहले होलिका जलाते है और अगले दिन रंगो से होली खेलते है। तब से लोग रंगो से होली खेलते है।

Q – होली का अर्थ क्या है?
Ans – होली का अंग्रजी में अर्थ पवित्रता है।

Q – होली कैसे मनाई जाती है?
Ans – घर घर में जाकर होली की शुभकामनाएं देते है, महिलाए अलग अलग स्वादिष्ट पकवान बनाकर उन्हें आस पड़ोस में बाटती है व सभी लोग आपसी बैरभाव भूलकर एक दूसरे से गले लगते है।

आज क्या सीखा-

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