आज के लेख में “भारत की प्रमुख जनजातियां (Major Tribes of India) PDF” – Bharat Ki Pramukh Janjatiya की जानकारी हिंदी भाषा में दी गई है।
अगर आप भी सामान्य ज्ञान से संबंधित भारत की प्रमुख जनजातियां की जानकारी में भारत की जनजातियां के बारे जानकारी देने वाले है। जिसमे आपको जनजाति क्या है?, भारत की प्रमुख जनजातियां और उनके निवास छेत्र, जनगणना 2011 के अनुसार किस राज्य, छेत्र में कौन सी जनजाति रहती या पाई जाती है। भारत में प्रमुख 21 जनजातियां है।
चलिए भारत की प्रमुख जनजातियां एवं विशेषता के बारे में विस्तार से जानते है –
जनजाति क्या है? | भारत की प्रमुख जनजातियां
भारत की प्रमुख जनजातियां : जनजाति वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैं। जनजाति वास्तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं।
जनजाति की परीभाषा और अर्थ : जनजाति एक ऐसा सामाजिक समूह है जो एक क्षेत्र विशेष से जुड़ा हुआ होता है, जो अपने इस समूह में विवाह करता है। लिंग पर आधारित श्रम विभाजन के अतिरिक्त अन्य श्रम विभाजन नहीं करता तथा वंशानुगत अथवा अन्य प्रकार की जनजाति समूहों से प्रभावित होता है। इसके प्रत्येक समूह की अलग-अलग भाषा होती है।
जनजाति समूह अपनी संस्कृति एवं क्षेत्रीय संगठनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। भारत के संविधान में इन्हें अनुसूचित जनजाति कहा गया है। किंतु भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति को परिभाषित नहीं नहीं किया गया है।
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जनगणना 2011 में भारत की जनजातीय
- जनगणना 2011 के मुताबिक भारत में जनजातियों की कुल जनसंख्या 10,42,81,034 है। जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% के करीब हैं। इसमें ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत 11.3% और शहरी जनसंख्या 2.8% हैं।
- लिंगानुपात के मामले में भारत में जनजातियों का लिंगानुपात 990 हैं। जिसमें सर्वाधिक लिंगानुपात गोवा राज्य (1046) तथा सबसे कम जम्मू कश्मीर (924) का है।
- चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं पुडुचेरी में कोई भी ST (अनुसूचित जनजाति) नहीं पाई जाती है।
भारत की प्रमुख जनजातियां और उनकी विशेषता
भारत में प्रमुख 21 जनजातियां पाई जाती है। जिसमें 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में “भील जनजाति” सबसे बड़ी जनजाति है। भारत में भील जनजाति की कुल 1 करोड़ 69 लाख आबादी है। इस आबादी में 84 लाख महिलाएँ और 86 लाख पुरुषों की संख्या है। यह भील जनजाति मुख्य रूप से भारत के उतर, मध्य और दक्षिण में निवास करती है। आपको बता दे कि वर्तमान समय में भील आबादी में तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है।
भील जनजाति के बाद दूसरी स्थान पर सबसे बड़ी जनजाति गोंड जनजाति है। गोंड जनजाति की अधिकतर आबादी मध्यप्रदेश में निवास करती है या पायी जाती है। मध्यप्रदेश में गोंड जनजाति के बाद सबसे अधिक जनसंख्या में भील जनजाति पाई जाती है। भील और गोंड जनजाति के बाद संथाल जनजाति है, जिसकी भारत में सबसे अधिक संख्या में आबादी है।
1. संथाल जनजाति
येभारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यत: झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, असम में रहते है। संथाल प्राय: नाटे कद के होते है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है।
संथालों के समाज में मुख्य व्यक्ति इनका सरदार होता है। आदिवासी समूहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। ये सरना धर्म का पालन करते हैं। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल्चिकी है। इनके विवाह को बापला कहा जाता है।
2. गोंड जनजाति
भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। गोंड भारत के विध्यपर्वत, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहनेवाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभावत 5-6वीं शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों और जंगलों में फैल गई।
आज भी मोदियाल गोंड जैसे समूह हैं जो जंगलों में प्राय: नंगे घूमते और अपनी जीविका के लिये शिकार तथा वन्य फल मूल पर निर्भर हैं। गोंडों की जातीय भाषा गोंडी है जो द्रविड़ परिवार की है।
3. मुंडा जनजाति
भारतीय दिवासी समुदाय है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के नागपुर
क्षेत्र में निवास करता है। झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं।
इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख
भाषा है। ज्यादातर मुण्डा लोग सरना धर्म को मानते हैं। वे एक ईश्वर पर विश्वास करते हैं जो सिंबोंगा कहलाता है।
4. बोड़ो जनजाति
पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति हैं।
बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं। भारतीय संविधान की 6वीं अनुसूची के अन्तर्गत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं। बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ों भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। ब्रह्मपुत्री भाषाएँ तिब्बती-बर्मी भाषा- परिवार की एक शाखा है।
5. भील जनजाति
मध्य भारत की एक जनजाति है। भील जनजाति के लोग भील भाषा बोलते है। भील, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक अनुसूचित जनजाति है। भील त्रिपुरा और पाकिस्तान के सिन्ध के थारपरकअर जिले में भी बसे हुए हैं।
भील शब्द की उत्पत्ति बिल से हुई है। जिसका द्रविड़ भाषा में अर्थ धुनष होता है। भील जाति 2 प्रकार से विभाजित है- 1. उजलिया/क्षत्रिय भील-उजलिया भील मूल रुप से वे क्षत्रिय है जो सामाजिक मुगल आक्रमण के समय जंगलों में चले गए एवं मूल भीलों से वैवाहिक संबंध स्थापित कर लेने से स्वयं को उजलिया भील कहने लगे मालवा में रहने वाले भील वही है। इनके रीति-रिवाज राजपूतों की तरह है। यह भीली भाषा बोलते है।
6. खासी जनजाति
यह एक जनजाति है जो भारत के मेघालय, असम व बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में निवास करते हैं। ये खासी व जयंतिया की पहाड़ियों में रहने वाली एक मातृकुलमूलक जनजाति है।
7. सहरिया जनजाति
भारत की एक प्रमुख जनजाति है। ये जनजाति मध्य प्रदेश के मध्य भारत के पठार में निवास करती है। उसकी जाति का मुखिया कोतवाल होता है।
8. मीणा जनजाति
मीणा मुख्यत: भारत के राजस्थान राज्य में निवास करने वाली एक जनजाति है। वेद पुराणों के अनुसार मीणा जातिमत्स्य (मीना) भगवान की वंशज है।
पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीय को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज, जहां एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर का त्योहार मनाया जाता है।
मीणा जाति का गणचिह्न मीन (मछली) को संस्कृत में मत्स्य कहा जाता है। प्राचीनकाल में मीणा जाति के राजाओं के हाथ में वज्र तथा ध्वजाओं में मत्स्य का चिह्न अंकित होता था, इसी कारण से प्राचीनकाल में मीणा जाति को मत्स्य माना गया। प्राचीन ग्रंथों में मत्स्य जनपद का स्पष्ट उल्लेख है जिसकी राजधानी विराट नगर थी, जो अब जयपुर वैराठ है।
9. ईरुला जनजाति
यह शब्द तमिल भाषा के ईरुल (श्याम) से निकला है। दक्षिण भारत में नीलगिरि की पहाड़ियों पर निवास करने वाली एक अत्यधिक श्यामवर्ण आदिम जाति का नाम ईरुला है। इसके विपरीत बडागा सबसे सुंदर वणवाली आदिम जाति है।
ईरुला लोग अपनी बोलचाल में अपभ्रंश तमिल का प्रयोग करते है व एक प्रकार के विष्णुपूजक हैं। इनके यहाँ मृतकों को गाड़ने की प्रथा है, गाड़ते समय शव को पद्यामसनावस्था में एवं मस्तक को उत्तर की ओर करके रखा जाता है।
10. अगरिया जनजाति
भारत की एक जनजाति है। अगरिया लोग मुख्यत: उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में पाये जाते है। इनमें से मिर्जापुर के आसपास पाये जाने वाले अगरिया लोग अंग्रेजी शासन के समय लोहे के खनन एवं उसे पिघलाकर धातु बनाने का काम किया करते थे।
ये लोग अगरिया भाषा के साथ-साथ हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भी बोलते हैं। गुजरात में भी अगरिया नाम से एक जनजातीय समूह पाया जाता है। जो नमक बनाने का काम करते हैं।
11. नागा जनजाति
भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। इनका निवास क्षेत्र भारत पूर्वोत्तर क्षेत्र व म्यांमार पश्चिमोत्तर क्षेत्र में है। भारत में ये नागालैंड राज्य में बहुसंख्यक है। इनकी प्रमुख भाषा कुकी-चिन, भाषाएँ है। इसके अलावा इन्होंने क्रियोल भाषा का भी विकास किया जिसका ये प्रयोग आपस में बातचीत करने में करते है।
पारंपरिक रूप से नागा गावों में रहते है। इनका मुख्य व्यवसाय जंगली जानवरों का शिकार करना है। ये अपने बास से बनाते है। ये योद्धा जनजाति है, जो झूमिंग कृषि करते है।
12. लेपचा जनजाति
जिसे रोंग भी कहते हैं। ये भारत के प्रमुख जनजातियों में से एक हैं। यह पूर्वी नेपाल, पश्चिमी भूटान, तिब्बत के कुछ क्षेत्र तथा भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के प्रमुख निवासी हैं। ये सिक्किम के सबसे पुराने निवासी माने जाते हैं, लेकिन इन्होंने 14वीं शताब्दी व उसके बाद आए भूटिया लोगों की संस्कृति के कई तत्वों को अपना लिया है।
भूटिया मुख्यत: ऊंचे पहाड़ों के पशुपालक होते हैं, जबकि लेपचा सामान्यत: दूरस्थ घाटियों में रहते है। इस जनजाति के द्वारा बोली जाने वाली जनजातिय भाषा लेप्चा कहलाती है।
13. डिमास जनजाति
असम की एक जनजाति है। इनको डिमा-बासा व डिमासा-कछारी भी कहते हैं।
14. टोड़ा जनजाति
ये दक्षिण भारत के नीलगिरि पर्वतों की जनजाति है। इनके निवास स्थल को टोड़ा कहा जाता है। मलयालम में नाद का अर्थ क्षेत्र/इलाका होता है। इनमें बहुपति प्रथा प्रचलित है। इनका सम्बन्ध भूमध्यसागरीय प्रजाति से है।
15. उरॉव जनजाति
यह झारखण्ड की प्रमुख जनजाति है। ये कुरूख भाषा बोलते है। इनका सम्बन्ध प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड़ प्रजाति से है।
16. गरासिया जनजाति
ये चौहान राजपूतों के वंशज है। इनका सर्वाधिक विस्तार राजस्थान के उदयपुर में है। इनमें मौर बांधिया, पहरावणा व ताणना 3 प्रकार के विवाह प्रचलित है। विवाह एक संविदा माना जाता है। जिसका आधार वधू मूल्य है।
17. बुक्सा जनजाति
ये उत्तराखण्ड के नैनीताल व देहरादून के तराई भागों में पाये जाते है। इनमें अनुलोम व प्रतिलोम विवाह प्रचलित है।
18. थारू जनजाति
यह जनजाति उत्तर प्रदेश व उत्तरराखण्ड के तराई भागों में पाये जाते है। इनका सम्बन्ध किरात वंश से है। इनमें संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है। ये जनजातियां दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते है।
19. जौनसारी जनजाति
ये उत्तराखण्ड के जनजाति है। इनका समाज पितृसत्तात्मक है जिसमें बहुपति विवाह प्रचलित है। इनका सम्बन्ध भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से है।
20. भोटिया जनजाति
इनका निवास स्थान उत्तराखण्ड है। समाज में एक पत्नी प्रथा है। पति के मृत्यु के बाद विधवा दूसरी शादी नहीं करती है। इनका सम्बन्ध मंगोल प्रजाति से है। ये ऋतु प्रवास भी करते है।
21. रियांग जनजाति
मिजोरम में बहुसंख्यक मिजो व अल्पसंख्यक रियांग जिसे ब्रु जनजाति भी कहा जाता है। यह म्यांमार के शान राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से आकर त्रिपुरा में बसी है। त्रिपुरा के अलावा यह जनजाति मिजोरम, असम, मणिपुर और बांग्लादेश में भी पाई जाती है। वे रियांग बोली बोलते हैं, जो तिब्बत-बर्मी भाषा परिवार का अंग है। त्रिपुरा की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है। धार्मिक रूप से हिंदू धर्म के | वैष्णव संप्रदाय को मानने वाली रियांग जनजाति के प्रमुख को राय कहा जाता है।
भारत की प्रमुख जनजातियां एवं उनके क्षेत्र राज्य
क्र.म | राज्य | जनजातियां |
1 | अरूणाचल प्रदेश | अपंतनी, डाफला, मिश्मी, सिंगफो, अबोर, अका |
2 | नागालैंड | नागा, कोन्याक, सेमा, गारो, कचारी, कूकी, मिकिर। |
3 | मणिपुर | अंगामी, कोम, माओ, मारिंग |
4 | मिजोरम | मीजो, लाखेर, पावी, चकमा, गारो, कुकी, हाजंगा |
5 | मेघालय | खासी, गारो, मिकिर, जयंतिया, हाजंग, हमार, लाखेर,सितेंग। |
6 | त्रिपुरा | त्रिपुरी, मोग, रियांग, हलाम, लुसाई, ओरांग, उचई। |
7 | असम | चकमा, डिमासा, हाजेंग, सिथंग, लालुंग। |
8 | अंडमान निकोबार | सेंटलीज, ओंग, जारवा, शोम्पेन। |
9 | लक्षद्वीप | मालमि। |
10 | सिक्किम | लेपचा, भूटिया, शेरपा। |
11 | पंजाब | सांसी। |
12 | जम्मू-कश्मीर | बकरवाल, गुज्जर, मौन, चांग्पा, बाल्टी, गद्दी, सिप्पी |
13 | हिमाचल प्रदेश | गद्दी, किनौर, जाद, गुज्जर, पंगवाली, स्वांगला। |
14 | छत्तीसगढ़ | अगारिया, धनवार, कमार, कोडाकू, मुंडा, खरिया, सौर। |
15 | उत्तराखंड/उत्तर प्रदेश | जौनसारी, बुक्सा, भोटिया, थारू, राजी। |
16 | पश्चिम बंगाल | भूमिज, असुर, हो,कोरवा, लेपचा, ओरांव, मुंडा। |
17 | मध्य प्रदेश | भील, अगरिया, कोल, कारकू, कमार, बौंगा, गोंड। |
18 | राजस्थान | भील, मीणा, गरासिया, बंजारा, बागड़ी, भटेलिया। |
19 | झारखंड | संथाल, मुंडा, हो, बिरहोर, उरांव, कोरवा, खरिया, माल-पहाड़ियां, असुर। |
20 | महाराष्ट्र | बारदा, बावचा, भुंजिया, बिरहुल, धनवार, धोडिया, थोटी। |
21 | गुजरात | भील, बंजारा, बारडा, बारली, खारी, धोडिया, कोकना, कोली, पटेलिया, पोमला, चारन। |
22 | कर्नाटक | बारड़ा, चेंचू, मालासार, मालेरू, टोंडा, शोलगा, राथावा, पनियन, कुर्मी, कोदागू। |
23 | आंध्र प्रदेश | चेंचु, लंबाडा, यनाडि, येल्कुलास, बगाता, कुलिया |
24 | केरल | उल्लाडा, मोपला, नायर, मलकारा, अलार, आदियान, कुरूम्बाज, पानियन, उराली, कादर, ईरूला। |
25 | तमिलनाडु | टोडा, कुरूम्बा, कोटा, इरूला, बड़गा। |
26 | दादर व नागर हवेली | वरली, कथोडी, कोकना, नायकड़ा (नायका)। |
27 | बिहार | बैगा, असुर, खोंड, उरांव, बिरहोर, बेदिया, बंजारा। |
28 | ओडिशा | बगता, भूमिज, गांडिया, कोल, कोरा, कोया। |
29 | दमन व दीव | धोडिया, सिद्दी, वरली |
30 | गोवा | धोडिया, वरली। |
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भारत की प्रमुख जनजातियां ट्रिक – Major tribes of india trick
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निष्कर्ष –
HindiNote.com के लेख में हमने, भारत में पाई जाने वाली प्रमुख जनजाति की लिस्ट पीडीएफ | List of Major Tribes Found in India PDF के बारे में विस्तार से बताया है।
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