पहिए का आविष्कार किसने किया और कब

Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab

आज आपकों “पहिये का आविष्कार किसने किया और कब – Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab” के बारे में बताने जा रहे है।

सबसे पहले पहिया किसने बनाया या पहिए का अविष्कार किसने किया और कब ऐसे प्रश्न आपके मन मे जरुर आते होंगे। अगर आप भी पहिए का आविष्कार कहां हुआ सबसे पहले किस देश में हुआ या पहिए का आविष्कार किस काल में हुआ की जानकारी जानना चाहते है तो आप एक सही पोस्ट पर आए है। अक्सर पहिये का आविष्कार किसने किया और कब किया से रिलेटेड जानकारी Google पर सर्च करते है जैसे कि – सबसे पहले पहिए का आविष्कर किसने किया और कब किया था। पाहिए का आविष्कर किस काल में हुआ था। पाहिए का खोज कब हुआ था। आदिमानव ने पहिए का आविष्कर कैसे किया था। चलिए जानते है पहिए का आविष्कर किसने किया और पहिए का आविष्कर किस काल में हुआ था।

चलिए जानते है पहिए का अविष्कार किसने किया और कब “Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab” (Who invented the wheel and when) किया था।

पहिए का आविष्कार किसने किया और कब?

Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab : पहिए का आविष्कार इराक मोसोपोटामिया में 3500 ईसा पूर्व में किया गया था ऐसा आधुनिक इतिहासकारो का कहना है। पौराणिक इतिहास अनुसार इतिहासकारो का यह भी मानना है कि सुमेरियन सभ्यता काल के लोगों ने 5500 साल पूर्व में पहिए का आविष्कार (Pahiye Ka Aavishkar) किया था।

ऐसा बताया जाता है कि इसी काल में महाभारत का युद्ध हुआ था और सिंधु घाटी सभ्यता भी अस्तित्व में आई थी। महाभारत ग्रंथ पढ़ने से पता चलता है कि महाभारत युद्ध में औरतों का उपयोग हुआ था इन रत्नों में गोलाकार के पाइए लगे हुए थे जिनकी मदद से रथ को दौड़ाया या इधर से उधर आसानी से घोड़ों की मदद से ले जाया जा सकता था। इस प्रकार महाभारत ग्रंथ पढ़ने से भी लोगों के दिमाग में पहिए (Wheel) का आविष्कार करने की दिमाग में आई होगी।

सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता मानी जाती है। भारत में सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई से पढ़िए के कई प्रमाण मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग बड़े पैमाने पर पहिया (Wheel) बनाकर इसका इस्तेमाल करते थे। सिंधु घाटी सभ्यता में मिले खिलौना हाथ गाड़ी को आज भी भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है जिससे यह सिद्ध होता है कि पहिए का आविष्कार सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने सिंधु घाटी काल में किया था।

अभी तक के लेख से आपकों आइडिया हो गया होगा कि Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab Kiya।

पहिए का आविष्कार किस काल में हुआ था?

Pahiye Ka Avishkar Kisne Kia Aur Kab Kiya : कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पहिए का आविष्कार नव पाषाण काल में हुआ था। नियोलिथिक युग काल या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास का काल माना जाता है इस काल 9500 ई.पू. के आसपास शुरू हुआ था, इस युग को जिसे पाषाण युग का अंतिम काल माना गया है।

आपकों बता दे कि “नियोलिथिक युग सीमावर्ती होलोसीन एपिपेलियोलिथिक अवधि के बाद कृषि की शुरुआत के साथ हुआ और इसने नियोलिथिक क्रांति को जन्म दिया था। इसका अंत भौगोलिक छेत्रफल के हिसाब पर धातु के औजारों के कांस्य युग में सीधे लौह के युग में विकसित होने के साथ हुआ था। पहिए का आविष्कार इस काल में हुआ था उक्त टॉपिक्स के द्वारा आपकों पता चल गया होगा।

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FAQ,s

  • Q – Pahiye Ka Avishkar Kisne Kiya Tha Aur Kab?

    Ans – पहिए का आविष्कार इराक मोसोपोटामिया में 3500 ईसा पूर्व में किया गया था ऐसा आधुनिक इतिहासकारो का कहना है। पौराणिक इतिहास अनुसार इतिहासकारो का यह भी मानना है कि सुमेरियन सभ्यता काल के लोगों ने 5500 साल पूर्व में पहिए का आविष्कार (Pahiye Ka Aavishkar) किया था।

  • Q- पहिए का आविष्कार किस काल में हुआ था?

    Ans – कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पहिए का आविष्कार नव पाषाण काल में हुआ था। नियोलिथिक युग काल या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास का काल माना जाता है इस काल 9500 ई.पू. के आसपास शुरू हुआ था, इस युग को जिसे पाषाण युग का अंतिम काल माना गया है।

  • Q- पहिए का आविष्कार कैसे किया?

    Ans – जब कोई पत्थर को फेंका जाता है अगर पत्थर चपटा यदि को ना होता है तो वह गिरते ही उसी स्थान पर रुक जाता है लेकिन पत्थर अगर गोलाकार का हो तो फेंकने के बाद काफी दूर तक चला जाता है हो सकता है आदिमानव को पत्थर फेंकने की इसी प्रणाली से वह दुआ हो जिससे धीरे-धीरे पहिए का आविष्कार हुआ हो।

Conclusion –

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको HindiNote का यह आर्टिकल Pahiye Ka Avishkar Kisne Kiya Tha Aur Kab Kiya Tha जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको पहिए का आविष्कार किस काल में हुआ और कैसे हुआ पसंद आया हो तो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे WhatssApp, Facebook, Teligram पर शेयर करें धन्यवाद।

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