सुनामी क्या है, सुनामी कैसे आती है? what is tsunami in Hindi

सुनामी क्या है, सुनामी कैसे आती है? what is tsunami in Hindi

सुनामी की परिभाषा :- सुनामी जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है सुनामी दो शब्दों ‘सू’ अर्थात ‘बंदरगाह’ और ‘नामी’ अर्थात ‘विनाशकारी लहरें’ से मिलकर बना है यानी ‘ऐसी समुद्री लहरें जो अत्यंत व्यापक नुकसान करती हैं। समुद्री तूफान यानी बंदरगाह के निकट की लहर। समुद्र के भीतर अचानक जब तेज हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊँची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है, जो जबरदस्त रफ्तार के साथ आगे बढ़ता है। इन्हीं लहरों के रेले को सुनामी कहते हैं।

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सुनामी कैसे आती है

कभी भीषण भूकंप के कारण समुद्र की ऊपरी परतें अचानक खिसककर आगे बढ़ जाती है, तब समुद्र अपनी समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है इस वक़्त जो लहरें बनती है उन्हें सुनामी लहरें कहते हैं। धरती की ऊपरी परत फुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है। ऊपरी सतह से लेकर अंतरभाग तक, पृथ्वी में बनी हुई है। पृथ्वी की बाहरी सतह कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेट में विभाजित है जो क्रमशः कई लाख सालों में पूरे सतह से विस्थापित होती है। पृथ्वी की आंतरिक सतह एक अपेक्षाकृत ठोस व मोटी परत से बनी है। इन सबके अंदर एक कोर होता है, जो एक तरल बाहरी कोर और एक ठोस लोहा का आंतरिक कोर से बनी हुई है। बाहरी सतह के जो विवर्तनिक प्लेट हैं वो बहुत धीरे धीरे गतिमान हैं। यह प्लेट आपस में टकराती हैं और एक दूसरे से दूर भी होती हैं। इसके कारण जो घर्षण उत्पन्न होता है उससे सुनामी की लहरें उत्पन्न होती हैं। अक्सर यह लहरें तट तक पहुँचते पहुँचते अपना असर खो देती हैं। परंतु जब यह कंपन बड़े पैमाने पर होता है, तो यह काफी हद तक खतरनाक साबित हो सकती है।

सुनामी आने के कारण

सुनामी आने के कई कारण हो सकते हैं, परंतु इसका सबसे ज्यादा असरदार कारण धरती का कंपन है।

भूकंप

भूकंप में धरती की ऊपरी सतह कंपन करने लगती है। यह सतह पर उपस्थित सभी वस्तुओं को हिला देने वाली होती है। इस कंपन के कारण समुद्र की ऊपरी सतह पर कंपन होता है, जिससे समुद्र की लहरें ऊपर उठती हैं व समुद्र तट की ओर बढ़ती हैं। यह सुनामी लहरें हैं।

ज्वालामुखी विस्फोट

अपेक्षाकृत दुर्लभ, हिंसक हिंसा विस्फोट भी आवेशपूर्ण गड़बड़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो पानी की एक बड़ी मात्रा को प्रभावित कर सकते हैं और दृश्य श्रोत क्षेत्रों में अत्यंत विनाशकारी सुनामी लहरें उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अनुसार, ज्वालामुखी विस्फोट के कारण जल दुघाटना, ज्वालामुखी के विस्फोट की दुर्घटना से या ज्वालाय मग्मिक कक्ष के टकराने से ज्वाला विस्फोट से लक्ष्य उत्पन्न हो सकते हैं।

भूस्खलन

भूस्खलन एक सामान्य शब्द है जो कई प्रकार के जमीनी संचलन का वर्णन करता है। जिसमें चट्टान गिरना, ढलान की विफलता, मलबे का प्रवाह और ढलान शामिल हैं।
यदि भूस्खलन पानी के ऊपर (सबएरियल) या नीचे (पनडुब्बी) से विस्थापित करता है। सुनामी की उत्पत्ति भूस्खलन सामग्री की मात्रा पर निर्भर करती है जो पानी को विस्थापित करती है। अपने श्रोत के पास, भूस्खलन से उत्पन्न सुनामी, भूकंप से उत्पन्न सुनामी से बड़ी हो सकती है और आस पास के तटों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।

सुनामी के प्रभाव

सुनामी शब्द सुनते ही मस्तिष्क में सर्वप्रथम भय का मंजर नज़र आता है। परंतु सुनामी के भी ज्वालामुखी की ही भाँति सकरात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं।

सकरात्मक प्रभाव

यह तथ्य बेतुका सुनाई दे सकता है परंतु वास्तव मे सुनामी के सकरात्मक प्रभाव होते हैं। समान्यतः सुनामी के सकरात्मक प्रभावों में तटीय क्षेत्रों में पोषक तत्वों का पुनर्वितरण, नये आवासों का निर्माण, परिदृश्य परिवर्तन, नए आर्थिक अवसरों का प्रावधान और अध्ययन के अवसर शामिल हैं।

पोषक तत्वों का पुनर्वितरण

सुनामी के सबसे महत्वपूर्ण सकरात्मक प्रभावों में से एक पोषक तत्वों का पुनर्वितरण है। सुनामी लहरें ज्वारदनमुख और डेल्टा में पोषक तत्वों से भरपूर तलछटों को ऊपर उठा सकती है और इसे अंतर्देशीय सीमाओं तक फैलाने में सहायक हो सकती है। इससे कृषि क्षेत्रों तक पोषक तत्वों का विस्थापन होता है जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। जब विशाल सुनामी लहरें तट से टकराती हैं, तो ये अंतर्देशीय जल भी वितरित करती हैं।

सूखे पारिस्थितिक तंत्रों तक जल पहुँचना

सुनामी की लहरें जल वितरण भी करती हैं। कभी कभी वे मैंग्रोव और दलदल जैसे सूखे पारिस्थितिक तंत्रों को जलमग्न कर सकते हैं। इस तरह सूखे स्थानों पर पानी की समस्या का समाधान हो सकता है।

जानवरों तक पोषक तत्व पहुँचाना

सुनामी लहरें समुद्र के साथ साथ जानवरों की प्रजातियों में पोषक तत्वों का वितरण करती है। जैसे सुनामी की घटनाओं के बाद सुमात्रा और बंगाल की खाड़ी के पास मलक्का जलडमरूमध्य मे पोषक तत्वों की मात्रा में तीन से चार गुना वृद्धि हुई है।

जानवरों की प्रजातियों की विस्तार

कई जानवर केवल एक स्थान पर ही पाए जाते हैं। ये इतनी अधिक दूरी तक जाने में सक्षम नहीं होते, इसलिए इनकी प्रजातियाँ हर स्थान पर नहीं पाई जाती हैं। सुनामी लहरें छोटे जानवरों की प्रजातियों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्रो में फैलने में मदद करती है।

नये अवसर का निर्माण

सुनामी के कारण कई खनिज लवण व पोषक तत्वों से भरपूर तलछटों में पेड़ पौधे विकसित होते हैं। इसमें समय के साथ साथ नये जंगल बनने की संभावना होती है। जो कि कई जानवरों का आवास बनती है। कई शोधों ने भी इसकी पुष्ठि की है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2011 की सुनामी घटना ने जापानी तट के साथ अधिक सैंडबार आवास बनाए। सेजेज ने इन आवासों को और अधिक सघन आबादी बनाते हुए उपनिवेश बनाया।

सुनामी भूदृश्य का निर्माण करती है सुनामी का एक अधिक समान्य प्रभाव यह है की वे नये परिदृश्य का निर्माण करती हैं। जैसे ही विशाल लहरें तट पर टकराती हैं, वे परिदृश्य में कुछ नाटकीय विशेषताएँ उत्पन्न पर सकती हैं। सुनामी या तो बड़ी मात्रा में सामग्री को किनारे पर जमा कर सकती है या चट्टनों और रेत के टुकड़ों को धो सकती है। इसी प्रकार जब सुनामी तट पर सामग्री जमा करती है, तो वे रेत के लैमिनाई, डंप डिपॉजिट, टीले और बोल्डर स्टैक बनाती है। इसके विपरीत, तट पर सुनामी लहरों का प्रभाव तटीय जंगलों को। मिटा सकता है। खाँचे, गड्ढ़े बना सकता है और प्रभाव के निशान छोड़ सकता है। इसके अलावा इसमें, रैंप, कैनियन, पूल, कैस्कैड, समुद्री गुफ़ाएँ, मेहराब, भंवर, उठे हुए प्लेटफॉर्म और कटी हुई चट्टानें भी बन सकती हैं।

नये आर्थिक अवसर

सुनामी संबंधित खतरों के बावजूद तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सुनामी प्रतिरोधी ईमारतों और बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त इन क्षेत्रों में पर्यटन की सम्भावना होने के कारण इसके विकास की भी आवश्यकता होती है। इसमें आर्किटेक्चर और इंजीनियर फर्म इस प्रकार के समाधान प्रदान करते हैं व नवीन विचारों तथा तकनीक के साथ नये आर्थिक अवसर प्रदान करते हैं।

अध्ययन उपकरण

प्राकृतिक आपदाएं व्यवहारिक अध्ययन के अवसर प्रदान करती हैं, चाहे वह लचीलापन बढ़ाने के लिए हो या खुद खतरे को समझने के लिए। इन अध्ययनों के माध्यमों ने काफी हद तक खतरों को भापने की सुविधा प्रदान की है। जिससे कि अधिक से अधिक हानि होने से रोकी जा सके।

सुनामी के नकारात्मक प्रभाव

आपदाएं अक्सर नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। कई बार ऐसा मौत का तांडव तक कर जाती हैं कि जीव बेसहारा ही बस मौत का इंतज़ार करने को विवश हो जाते हैं। यदि सुनामी के नकारात्मक प्रभावों की बात की जाए तो इन्हें आमतौर पर प्राथमिक और द्वितीयक दो भागों में विभाजित किया गया है।

सुनामी के प्राथमिक प्रभाव

सुनामी के प्राथमिक प्रभावों में वह प्रभाव शामिल हैं जो सुनामी के समय से ही घटित होते हैं। इस प्रकार के प्राथमिक प्रभावों में संपत्तियों को नुकसान, मृत्यु, कटाव और अन्य परिदृश्य में परिवर्तन शामिल हैं।

सुनामी के द्वितीयक प्रभाव

सुनामी के द्वितीयक प्रभाव घटना के घंटों, दिनों और सप्ताहों के बाद होते हैं। इसमें आग, विस्फोट, सीवर नेटवर्क और शवों से प्रदूषण और बीमारी का प्रकोप शामिल है। कभी कभी ये प्रभाव सुनामी की घटना से भी बदतर हो सकते हैं।

निर्मित बुनियादी ढांचे को नुकसान

मूल रूप से, सुनामी उनके रास्ते में आने वाली हर चीज़ को नुकसान पहुँचा सकती है। जैसे ही विशाल लहरें अंतर्देशीय सीमाओं को पर करती है, इसे बल का प्रभाव इमारतों, बुनियादी ढांचे और संचार लाइनों को नष्ट कर सकता है। ये लहरें परिवहन नेटवर्क को भी बाधित कर सकते हैं। इसकी वजह से माल और राहत कर्मियों की आवजाही बाधित हो सकती है। खराब इंफ्रास्ट्रॅक्चर वाले इलाकों में सुनामी की लहरें काफी हद तक विनाशकारी साबित हो सकती हैं। कभी कभी पहले से तैयार रहने वाले राष्ट्र भी इन प्राकृतिक खतरों से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

जीवन की हानि और सामाजिक व्यवधान

सुनामी अक्सर बिनाचेतावनी के आती है। जब तक लोगों को लहरों की विशालता को देखकर सुनामी का आभास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। सुनामी के कारण अधिकतर मौतें लोगों के जलमग्न होने के कारण होती हैं। कई मौतें लोगों के इमारतों, वाहनों आदि के नीचे दबने से भी होती हैं। जो लोग इस मौत के मंजर को पार कर जाते हैं, वे भी अक्सर पुरानी चोटों या मनोवैज्ञानिक समस्याओं से उबर नहीं पाते।

आर्थिक नुकसान

सुनामी बहुत बड़े पैमाने में आर्थिक नुकसान कर सकती है। जैसे ही सुनामी की विशाल लहरें एक क्षेत्र में फैलती हैं, वे आवासीय, वणिज्यिक और कृषि सुविधाओं को नुकसान पहुँचती है। मानव संसाधन से लेकर परिवहन, इंटरनेट, ऊर्जा सभी इससे प्रभावित होते हैं। सुनामी भूमि प्रदूषण से लेकर फसलें नष्ट करने तक आर्थिक क्षतियाँ पहुँचा सकती है। पर्यटन सुविधाओं को भी यह बहुत प्रभावित करती है।

पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान

सुनामी की लहरें समुद्र से ऊपर उठकर स्थल में आने तक, समुद्री व स्थलीय दोनों पारिस्थितिक तंत्रों को नुकसान पहुँचती हैं। जब लहरें तटों को नुकसान पहुँचाती हैं। जब लहरें तटों से आगे बढ़ती हैं तो इसके बल के प्रभाव से वहाँ का परिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। ये लहरें तलछट और मलबे को नदिओं और मुहानों में फैक सकती है जिससे वह क्षेत्र बहुत प्रभावित होता है। कई छोटे द्वीप व टापू सुनामी की लहरों के कारण जलमग्न हो जाते हैं।

सुनामी से बचने के उपाय

प्राकृतिक आपदाएं कभी बता कर नहीं आती हैं। यह बहुत जान माल की हानि करती है। यदि समय रहते इससे बचने के उपाय जान लिए जाएं तो इससे होने वाली हानियों को कम किया जा सकता है। सुनामी से बचने के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं :-

भूकंप के पश्चात सुनामी की खबरें अक्सर सुनाई देती हैं, इसलिए भूकंप के बाद सुनामी चेतावनी तंत्र पर विशेष ध्यान देश चाहिए तथा मौसम से संबंधित खबरें सुनते रहना चाहिए।

समुद्री तटवर्ती इलाकों से नगर या शहरों को उचित दूरी पर बसाना चाहिये।

पशु पक्षी वतावरण प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, उन्हें अनिष्ट घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है, इसलिए पशु पक्षिओं की गतिविधियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

तटीय जल की हलचल, उसकी वृद्धि तथा गिरावट पर ध्यान देना चाहिए।

सुनामी आने पर सभी जरूरी वस्तुयें लेकर किसी ऊँची पहाड़ी या सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए।

यदि सुनामी का जल नगर में भर जाए तो किसी मजबूत पक्की इमारत पर चले जाना चाहिए।

यदि कोई सुनामी के जल में फंस जाए तो किसी जल में तैरने वाली वस्तु को पकड़ लेना चाहिए।

सुनामी के तुरंत बाद बचाव दल, जैसे डॉक्टर, एंबुलेंस, पुलिस आदि के संपर्क में रहना चाहिये।

भूकंप के तुरंत पश्चात कुछ समय तक तट के आस पास जाने से बचना चाहिये।

सुनामी से होने वाली हानियों से बचने के लिए एक निकासी योजना बनानी चाहिये।

विश्व की कुछ बड़ी सुनामियां :-

  1. दक्षिण चिली 1960 : 22 मई 1960 को दक्षिण चिली में एक भयानक भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 9.5 तक मापी गयी थी। इसके बाद वहाँ एक भयानक सुनामी आई। इसने चिली के तट को 25 मीटर यानी 82 फीट तक की लहरों के साथ गंभीर रूप से प्रभावित किया। इससे होने वाली मौतों की संख्या व मौद्रिक नुकसान निश्चित नही है। इस विनाशकारी सुनामी से होने वाली मौतों की कुल संख्या 1000 से 6000 के बीच है। इससे होने वाली कुल आर्थिक हानि 400 मिलियन डॉलर थी।
  2. हिंद महासागर 2004 : 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में खतरनाक सुनामी लहरें उठी थी। इस सुनामी ने भारत समेत आस पास के कई देशों में भारी नुकसान पहुँचाया । इस सुनामी के कारण लगभग 2.5 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई थी।
  3. सुमात्रा इंडोनेशिया 2004 : 26 दिसंबर 2004 को सुमात्रा के समुद्र के भीतर 30 किलोमीटर की गहराई पर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसकी वजह से सुनामी की खतरनाक लहरें उठी थी। यह लहरें आसमान में लगभग 50 मीटर तक ऊँची उठी थी। इस सुनामी के कारण लगभग 2.30 लाख लोगो की मृत्यु हुई थी।
  4. ओशिका, जापान 2011 : जापान के पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसका केंद्र समुद्र के भीतर 24 किलोमीटर की गहराई पर था। इसकी वजह से समुद्र में सुनामी लहरें उठी। जिन्होंने जापान को तहस नहस कर दिया। यह लहरें जापान के होक्काइदो और ओकिनावा द्वीप से टकराई जिसकी वजह से लगभग 18 हज़ार लोगों की मृत्यु हो गयी।
  5. लिटूया बे, अलास्का 1958 : साल 1958 में अलास्का के लैटूया बे में एक सुनामी आई थी। इसका असर लगभग 80 किलोमीटर की दूरी तक हुआ था। इस सुनामी को मेगा सुनामी का नाम भी दिया गया था।

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निष्कर्ष –

सुनामी क्या है और सुनामी कैसे एवं क्यों आती है के बारे में हमने आपको बताया अगर Sunami Kya Hota Hai से संबंधित आपका कोई प्रश्न हो तो हमे कमेंट बॉक्स में बताए आपकी हेल्प की जावेगी।

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