Baad Ka Drishya Par Nibandh in Hindi : बाढ़ का दृश्य पर निबंध लेख में बाढ़ की समस्त घटनाओं को दर्शाया गया है। बाढ़ (Badh) पर निबंध लेखन में “बाढ़ क्या है” और कैसे आती है, बाढ़ का दृश्य कैसा होता है की जानकारी के साथ साथ बारिश में अचानक बाढ़ आने से जन-धन के नुकसान के बारे में भी बताया गया है।
बाढ़ का दृश्य पर निबंध in Hindi लेख विशेषकर विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया है क्योंकि अक्सर ऐसे प्रश्न बाढ़ क्या है या बाढ़ के दृश्य पर निबंध लिखिए 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000 शब्दों में। यह लेख “बाढ़ के दृश्य पर निबंध” कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 12 के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया है ताकि आप अर्धवार्षिक के वार्षिक परीक्षा में पूछे जाने वाले इस निबंध मैं अच्छे से अच्छे अंक प्राप्त कर सके। चलिए शुरू करते हैं बाढ़ के दृश्य पर निबंध हिंदी में Essay on Flood Scene in Hindi
बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi PDF
प्रस्तावना : बाढ़ मतलब नदी का उफनता हुआ जल जब अपने किनारे से ऊपर-ऊपर बहते हुए आम जन-जीवन तक पहुचकर जीवन को अस्तव्यस्त कर देता है तब इसे हम बाढ़ कहते हैं ।
प्रकृति की लीला भी बड़ी न्यारी है । जब धरती को पानी की प्यास लगती है, तब तो पानी की बूँंद भी नहीं बरसती और कभी पानी इतना बरसता है कि नदियाँ उसे अपने किनारों के आँचल में समेट नहीं पातीं। जो गंगा, गोदावरी, गोमती जड़ चेतन के लिए वरदान बनी होती हैं , वही बाढ़ के रूप में अभिशाप बन जाती हैं।
जुलाई-अगस्त के महीने ,नदियों के उत्सव और स्वच्छन्दता का समय होता है। जल से भरी हुई सभी नदियां अपने आप में फूली नहीं समाती हैं । जल से भरे हुए बादलों के दल-प्रतिदल की टकराहट से सारा आकाश क्षुप्ध होकर भीषण गरजना करने लगता है। तब वर्षा की ऐसी घटा छा जाती है कि उसे देखकर लगता है कि चारों ओर वर्षा का ही एकमात्र स्थायी साम्राज्य स्थापित हो गया।
जल से लबालब भरी हुई नदियों के तट टूटने- फूटने लगते हैं। नदियों की इस स्वतन्त्रता के कारण चारों ओर भयानक बाढ़ का दृश्य उपस्थित हो जाता है। जीवन के लाले पड़ जाते हैं। कहाँं और कितनी धन-जन की हानि होती है, इसका निश्चित व्यौरा देने में कोई भी समर्थ नहीं होता है। प्रत्यक्ष देखे गए बाढ़ के एक ऐसे दृश्य का वर्णन यहां प्रस्तुत किया जा रहा हैं।
हमारे देश में प्रत्येक वर्ष बाढ़ के कारण जान-माल की हानि होती है। करोड़ों रुपयों की हानि इन बाढ़ों के कारण देश को उठानी पड़ती है। जब देश गुलाम था तो इस प्रकोप का सारा दोष हम अपने गोरे शासकों को देते थे। आज देश को स्वतंत्र हुए सैतीस वर्ष हो चके हैं । बाढ़ों का प्रकोप कुछ भी कम नहीं हुआ। बाढ़ आने पर हमारी सरकार सहायता कार्य तो तुरन्त शुरू कर देती है। यह राष्ट्रीय सरकार का कर्तव्य भी है। देश में बाढों की रोकथाम के लिए बहुत कार्य होता है। हर वर्ष की बाढ़ों व उनसे होने वाली जन-धन की हानि से राष्ट्र का चिन्तित होना स्वाभाविक है। पिछले कुछ वर्षों से इस और विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में हम इनसे छुटकारा पा सकेंगे, यह आशा अब देशवासियों को लगी हुई है ।
बाढ़ के दुश्य का रोमांचक स्वरूप तो गाँवों में दिखाई पड़ता है । एक बार छात्रावास से 15 अगस्त के लघु अवकाश पर गाँव गया हुआ था। घर पहुँचने पर पता चला कि लगातार एक सप्ताह से वर्षा हो रही है। निरन्तर मूसलाधार पानी बरस रहा है जैसे प्रलथ की इसकी बरसात हो। इसके कारण ही गंगा का जल भी लगातार बढ़ रहा है । इससे बाढ़ का भयानक दुश्य काल की तरह सबको कंपा रहा है। सबको अब प्राण बचाने की नौवत आ गई है। बाढ़ इस तरह बढ़ रही है जैसे वह अपने में ही सब कुछ समा लेने के लिए आ रही हो।
मैंने देखा कि अब कृछ ही दूर गंगा का जल भयावह रूप धारण किए हुए इस ऊॅचाई पर चढ़ने के लिए प्रयत्नशील है । गाँव से बाहर के लोग गाँव से दूर ऊंचे-ऊचे टीलों पर शरण लिए हुए थे। मैं भी घर के सदस्यों की सुरक्षा के लिए उसे स्थान को देखने गया, जहाँ जरूरत पड़ने पर शरण ली जा सके । मैंने उस टीले के ऊंचे भाग पर चढ़कर देखा कि गंगा की धारा उल्टी दिशा में समुद्र की लहरों-सी उमड़ती हुई हाँय-हाँय और सर्र-सर्र करके पलक झपकते ही दूर हो जाती है फिर दूर से आती हुई अपने काल सम प्रयास से विध्वंश का रूप लिए दिखाई दे रही है। इस क्रूर और तांडवकारी गंगा के जल में कहीं जीवित या मरे हुए पशु आदमी और जीवन की नितांत आवश्यकताएं बेरम विनाश की गोद में बह रही है।
इस उफनती हुई बाढ़ में मैने देखा की एक ममतामयी मृत माँ के वृक्ष से चिपटा हआ बालक अब-तब मृत्यु को प्राप्त होने की दशा में बह रहा है। मेरे देखते-देखते और पलक झपकते ही वह न जाने किधर लहरों में समाकर मृत्यु को प्यारा हो गया । कौन बता सकता है इसे। एक दूसरा दृश्य भी मैंने इसी तरह का रोमांचकारी देखा था । वह यह कि दो छोटे-छोटे बालक परस्पर एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में ऊभ-चूभ हो रहे थे और फिर दूसरे ही क्षण वे दोनों मृत्यु के झटके से किधर ओझल हो गए कोई नहीं कह सकता । घर लीटते समय मैंने एक नजर अचानक जब पेड़ों पर डाली, जहां अपने-अपने प्राणों की रक्षा में शरण लिए हुए थे। उसी समय मेरे पैरों के बीच से एक विशाल नाग सरक कर घास में छिप गया। मैं कुछ देर सन्न-सा रह गया और अनुभव किया कि बाढ़ में सभी हिंसक जीवन शायद अपनी हिंसक प्रवृत्ति को भूल जाते है।
घर लौटते हुए काफी अंधेरा हो गया था। कुछ लोगों की बातचीत से पता चला कि शायद अभी और जल बढ़ेगा। रात के कुछ बीत जाने पर गांव के बाहरी छोर पर हाय हाय के साथ भगदड़ और करुणा भरी आवाज सुनाई दे रही थी।
उपसंहार – बाढ़ आना एक प्राकृतिक आपदा है। मानव बारिश या ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते पर हम निश्चित रूप से बाढ़ के पानी से निपटने के लिए एक अच्छी जल निकासी व्यवस्था का बना सकते हैं। अधिकांश देखा जाता है कि विश्व के कई देशों काफी बारिश होती है लेकीन उन देशों की अच्छी जल निकासी प्रणाली है। सामान्य से ज्यादा बारिश होने की स्थिति में भी ये देश बाढ़ जैसे हालात पर काबू कर लेते हैं। हमारे देश में जरूरत है कि बाढ़ की समस्या और प्रभावित क्षेत्रों में सरकार को भी अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए। ताकी बाढ़ आने पर अच्छे से जल निकासी हो सके।
बाढ़ पर निबंध in Hindi – FAQ,s
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Q- बाढ़ क्या होती है और इसके दृश्य कैसा होता है?
Ans – बाढ़ अर्थात नदी का उफनता हुआ जल जब अपने किनारे से ऊपर-ऊपर बहते हुए आम जन-जीवन तक पहुचकर जीवन को अस्त व्यस्त कर देता है तब इसे हम बाढ़ कहते हैं।
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Q- बाढ़ आने के कारण बताइए?
Ans – अत्यधिक बारिश, बादल फटने, सुनामी और भूकंप, वनों का हास के कारण बाढ़ आती है।
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Q- बाढ़ से क्या क्या नुकसान होता है?
Ans – भारी जन धन की हानी होती है। जल प्रदूषित होना होता है। फसलें बर्बाद होती है। सड़क के टूटती है। समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है। महामारी जैसी स्थिति बन सकती है।
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आज क्या सीखें –
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