आज के निबंध में “जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (Essay on Population Growth in Hindi PDF)“ की जानकारी बताई गई है। दोस्तों क्या आप Jansankhya Vriddhi Par Nibandh की सही जानकारी के लिए हमारे लेख बढ़ती जनसंख्या पर निबंध पढ़ रहे हैं तो आपको बता दे कि यहां पर आपको बढ़ती हुई पापुलेशन के बारे में भारत में जनसंख्या विस्फोट होने के कारण, जनसंख्या वृद्धि को कैसे रोका जाए, परिवार नियोजन हेतु लोगों को कैसे जागरूक करें और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून, एवं जनसंख्या नियोजन के उपाय भी बताएंगे।
Essay on Population Growth in Hindi खासकर स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 विद्यार्थियों के लिए काफी रिसर्च कर तैयार किया गया है ताकि आप परीक्षाओं में पूछे जाने वाले जनसंख्या वृद्धि पर निबंध को अच्छे से अच्छा लिख कर अच्छे नंबर प्राप्त कर सकें। जनसंख्या वृद्धि पर निबंध 500, 600, 700, 800, 900 और 1000 शब्दों में तैयार किया गया है ताकि सभी कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध काम आ सके। चलिए शुरू करते हैं जनसंख्या वृद्धि यानी बढ़ती हुई पॉपुलेशन पर निबंध।
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
प्रसिद्ध विचारक गार्नर का मानना है कि जनसंख्या वृद्धि एक ऐसी समस्या है जो किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है। वैसे जनसंख्या किसी भी देश के लिए एक वरदान जैसी होती है, लेकिन जब किसी भी देश के पास उपलब्ध साधन-सम्पन्नता की अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब वही अभिशाप भी बन जाती है।
जनसंख्या वृद्धि और क्षेत्रफल की कमी
वर्तमान समय में जनंसख्या की दृष्टि से भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान पर है। वर्तमान में भारत के सामने जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय आजाद भारत की जनसंख्या सिर्फ 36 करोड़ थी, 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। जनसंख्या विस्फोट इस बात से पता चलता है कि विश्व की लगभग 15 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू-भाग की दृषटि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5 प्रतिशत है।
जनसंख्या वृद्धि का कारण अंधविश्वास
जनसंख्या वृद्धि के अलग-अलग महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर के बीच अधिक दूरी, विवाह यानी विवाह के समय कम आयु, अधिक निरक्षरता, परिवार नियोजन के प्रति धार्मिक दृष्टिकोण, गरीबी (अधिक हाथ अधिक आमदनी का सिद्धान्त), मनोरंजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी तथा बन्ध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत जानकारी या सूचना का अभाव आदि हैं।
निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण
निर्धन लोगो द्वारा दो से अधिक बच्चें पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है। गरीबी या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण भी है और प्रभाव भी। अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते माँ-बाप को परेशान होकर उन्हें स्कूल जाने से रोक दिया जाता है ताकि वह घर के कामकाज में मदद करा सके और खर्च में मदद कर सके। और फिर, अशिक्षित एवं अज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के है उत्तराधिकारी होंगे जो अपने माता पिता के जैसे अधिक संतान पैदा करना चाहेंगे। जितनी जीवन-यापन के लिए आवश्यक हो।
धार्मिक कट्टर एवं रूढ़िवादी जनसंख्या वृद्धि के कारण
कुछ लोग धार्मिक दृष्टि से कट्टर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों के खिलाफ होते है बहुत सारी महिलाएँ के दिमाग में यह बात फिट हो जाती है कि वह ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकतीं। भारतीय मुसलमानों में जन दर एवं उत्पादकता दर हिन्दुओं की अपेक्षा बहुत ज्यादा है (हिन्दुओं में 3.3 की अपेक्षा मुस्लिम महिलाओ” उत्पादकता दर 4.4 है) हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रुप द्वारा मुसलमानों में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, यद्यपि अधिकतर पुरुष एवं सत्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, फिर भी वह धार्मिक और अपने रीति रिवाजों के आधार पर उनका अमल नहीं कर रहे हैं या फिर उनको परिवार नियोजन की सही जानकारी का अभाव है।
जनसंख्या वृद्धि का दुष्परिणाम
जनसंख्या वृद्धि (जनसंख्या-विस्फोट) का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन-स्तर पर बहुत बुरा पड़ता है। यही कारण है कि आजादी के बाद से हमारी कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक उन्नति के बावजूद हमारी प्रति-व्यक्ति आय में कोई संतोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है। जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता (fertily) की दर को कम कर देता है। यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर की अपेक्षा अधिक है जिसका परिणाम, जनसंख्या में वृद्धि है।
जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन
भारत सरकार की जनसंख्या नीति का मुख्य उद्देश्य न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियन्त्रित वृद्धि पर अंकुश लगाना होना चाहिए बल्कि जनसंख्या के अनियन्त्रित आने-जाने को रोकना और शहरी क्षेत्रों में व्यक्तियो के बढ़ते हुए केन्द्रीकरण को रोकना और व्यक्तियों के पंचमेल मिश्रण के लिए पर्याप्त आवास स्थान और आकर्षक पर्यावरण उपलब्ध कराना भी होना चाहिए। इन लक्ष्यों को ऐसी नीतियों के सृजन और क्रियान्वयन से संयुक्तरूप से जोड़ देना पड़ेगा, जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रित करना है और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्यों में लगाने की योजना बनाना है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु यदि उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है।
हमारा देश यदि लगभग 1.5 करोड़ व्यक्तियों की प्रतिर्ष की वृद्धि से बचना चाहते है, तो केवल एक ही मार्ग शेष है कि आवश्यक परिवार नियोजन एवं जनसंख्या हतोत्साहन की कड़वी घूँट लोगों को पिलायी जाए। इसके लिए एक उपयुक्त जनसंख्या नीति यानी जनसंख्या कानून बनाना अति आवश्यक है।
परिवार नियोजन जागरूकता
परिवार नियोजन को गलत विचारधारा से बचाना होगा जिसमें वह फंस गए हैं। इसके लिए कार्यक्रम को आन्तरिक रूप से और विकास की इकाई के रूप में देखा जाना चाहिए। परिवार नियोजन जागरूकता अभियान को फिर से लोगो तक पहुंचाना होगा और जरूरी उपाय करने होंगे। थोड़ी हतोत्साहन के साथ प्रोत्साहन भी आवश्यक होगा। वैधानिक उपाय भी सहायक हो सकते हैं लेकिन तुरन्त आवश्यकता इस बात की है कि उत्तरदायी माता-पिता की भावना पैदा करने के लिए सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक से अधिक हो।
परिवार नियोजन अभियान में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया जाना चाहिए कि फासले की विधि को बढ़ाया जाए ताकि एक सही बैलेंस जनसंख्या का बन सके जनसंख्या इतनी कंट्रोल हो जाए जितने देश के पास संसाधन है। हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ हैं। ‘बच्चियाँ ही बच्चे पैदा करें’ इस सच्चाई को बदलना होगा। यह केवल फासले की विधि तथा लड़कियों की अधिक विवाह-उम्र को प्रोत्साहन देने से ही सम्भव हो सकेगा।
जनसंख्या नियंत्रण हेतु नारी का उत्थान
परिवार नियोजन महिलाओं की शारीरिक और मानसिक परिस्थिति को सुधारने में भी सहायक होगा। वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए और बच्चे हों और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही गुजारती है और घर की चार दीवारी में ही बन्द रहती है। वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका नहीं निभा पाती है, जब तक वह अपने परिवार के आधार को तर्क सगत न बना ले। परिवार नियोजन न केवल परिवार कल्याण में सुधार करेगा बल्कि सामाजिक समृद्धिधि तथा व्यक्तिगत सुख में भी योगदान करेगा।
उपसंहार –
जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण में आर्थिक विकास से ही जनन-क्षमता दर कम नहीं होती है। कीनिया और बाजील इसके उदाहरण है। हम जब तक महिलाओं को अच्छी शिक्षा नही दे पाएंगे उनका विकास कैसे और कैसे जनसंख्या हेतू परिवार नियोजन हो सकता है। जब तक हमारे देश मे विवाह की आयु सीमा को बढ़ाया नही जायेगा, शिक्षा के द्वारा प्रजनन आयु के दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित नहीं किया जाएगा, जनसंख्या नियंत्रण आसान नहीं होगा । इन सभी उपायों पर एक साथ जोर देने के लिए केन्द्रीय एवं राज्य स्तरों पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना एक उपयुक्त उपाय होगा, जो न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य करगे बल्कि अल्पकालीन एवं दीर्धकालीन योजनाओं का निर्धारण भी करेगे।
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आज का क्या सीखें –
मेरे प्यारे भारतीय मित्रों! मेरा विश्वास है कि जनसंख्या वृद्धि पर निबंध लेख आपको जरूर पसंद आया होगा और निबंध में बताए गए जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण, समस्या और समाधान की जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपके दिमाग में कोई क्यूरी हो जो उक्त लेख में आपको समझ में नहीं आई हो तो आप से निवेदन है कि हमें जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण पर निबंध के कमेंट बॉक्स में अपना पर्सनल भेजें आपको तुरंत आपके जनसंख्या वृद्धि पर निबंध प्रश्न का उत्तर दिया जाएगा।
FAQ,s
Q- जनसंख्या वृद्धि के मुख्यकारण क्या है?
Ans – जनसंख्या वृद्धि का कारण अंधविश्वास, निर्धनता, धार्मिक कट्टर एवं रूढ़िवादी, अशिक्षा है।
Q- जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम क्या है?
Ans – जनसंख्या वृद्धि (जनसंख्या-विस्फोट) का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन-स्तर पर बहुत बुरा पड़ता है। यही कारण है कि आजादी के बाद से हमारी कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक उन्नति के बावजूद हमारी प्रति-व्यक्ति आय में कोई संतोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है। जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता (fertily) की दर को कम कर देता है। यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर की अपेक्षा अधिक है जिसका परिणाम, जनसंख्या में वृद्धि है।
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