भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध Essay on Atomic Energy in India in Hindi

भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध Essay on Atomic Energy in India in Hindi

नमस्कार दोस्तों! आज आपको “भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध (Essay on Atomic Energy in India in Hindi)” के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। निबंध में परमाणु ऊर्जा क्या है इसकी परिभाषा बताई गई है। इसके अलावा भारत में परमाणु ऊर्जा का महत्व, लाभ, नुकसान और परमाणु ऊर्जा प्राप्त कैसे करें की जानकारी भी “Bharat Me Parmanu Urja Par Nibandh” में बताई गई है।

चलिए जानते है! भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध (Essay on Atomic Energy in India in Hindi) कक्षा 4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए 300 से 1000 शब्दों में।

भारत में परमाणु ऊर्जा पर निबंध (परिभाषा, लाभ, नुकसान, महत्व)

परमाणु ऊर्जा कर अर्थ :-

नाभिकीय विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा कहा जाता है। नाभिकीय विखण्डन वह रासायनिक अभिक्रिया है, जिसमें एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है। नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया ‘शृखला अभिक्रिया’ होती है। जब एक अभिक्रिया से स्वतः दूसरी अभिक्रिया होती है, तो उसे श्रृंखला अभिक्रिया कहा जाता है। श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है – अनियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया एवं नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया। अनियन्त्रित श्रंखला अभिक्रिया में तीन नए निकलने वाले न्यूटॉन पर नियन्त्रण नहीं होता, जिसके कारण नाभिकों के विखण्डन की दर 1, 3, 9, 27 ….. के अनुसार होती है, फलस्वरूप ऊर्जा अत्यन्त तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में बहुत अधिक विनाश करने में सक्षम होती है। इसी सिद्धान्त के आधार पर परमाणु बम का निर्माण किया जाता है। नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है तथा इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जा सकता है।। परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए नाभिकीय रिएक्टर में यही अभिक्रिया अपनाई जाती है।

सबसे पहले नाभिकीय विखण्डन अभिक्रिया को अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रॉसमैन एवं ऑटो हॉन ने प्रदर्शित किया। इन्होंने जब यूरेनियम 235 परमाणु पर न्यूट्रानो की बमबारी की तो पाया कि इनके नाभिक दो खंडों में विभाजित हो गए। जब यूरेनियम पर न्यूट्रानो की बमबारी की जाती है, तो एक युरेनियम नाभिकीय विखण्डन के फलस्वरुप बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रन उत्सर्जित होते हैं। ये नव उत्सर्जित न्यूट्रॉन, यूरेनियम के अन्य नाभिको को विखंडित करते हैं। इस प्रकार यूरेनियम नाभीको के विखंडन की एक श्रृंखला बन जाती है। इसी श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित कर परमाणु रिएक्टरों में परमाण ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।

नाभिकीय रिएक्टर में ईधन के रूप में यूरेनियम 235 या प्लूटोनियम 239 का प्रयोग किया जाता है। अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए मन्दक के भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है। मन्दक रिएक्टर में न्यूट्रन की गति को धीमा करता है। रिएक्टर में नियंत्रण के रूप में कैडमियम या बोरॉन छड़ का प्रयोग किया जाता है। यह छड़ नाभिक के विखण्डन के दौरान निकलने वाले तीन नए न्यूट्रॉंन में से दो को अवशोषित कर लेती है। जिससे अभिक्रिया नियन्त्रित हो जाती है और उत्पादित परमाणु ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित कर इसका प्रयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जाता है। नाभिकीय रिएक्टर से कई प्रकार का विकिरण उत्सर्जित होता है, जो रिएक्टर के समीप कार्य करने वालों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए रिएक्टरों के चारों ओर कंकरीट की मोटी-मोटी दीवारें बनाई जाती हैं, जिन्हें परिरक्षक कहा जाता है।

परमाणू रिएक्टर का उपयोग मूल रूप से विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन की कम मात्रा से ही अपार ऊष्मा का उत्पादन किया जा सकता है। जहां 1000 वाट के थर्मल पावर संयंत्र को चलाने के लिए तीन सौ लाख टन कोयले की आवश्यकता होती है वही इतना ही विद्युत उत्पादन नाभिकीय रिएक्टर मात्र 30 टन यूरेनियम से संभव है। रिएक्टर से प्राप्त विद्युत ऊर्जा का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है इसके अतिरिक्त परमाणु रिएक्टरों का उपयोग प्लूटोनियम उत्पादन के लिए भी किया जाता है। यह यूरेनियम 235 से भी बेहतर विखंडनीय पदार्थ है नाभिकीय रिएक्टर में श्रृंखला अभिक्रिया के अंतर्गत यूरेनियम 238 तीव्र गामी न्यूट्रेनों की बोछार करके उसे प्लूटोनियम 239 में बदला जाता है। परमाणु रिएक्टरों में अनेक तत्वों के कृतिम आइसोटोप भी बनाए जाते हैं। समस्थानिको का उपयोग चिकित्सा, कृषि, जीव विज्ञान तथा अन्य वैज्ञानिक शोधों में किया जाता है।

भारत में परमाणु ऊर्जा :-

भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति के पद पर है। इस प्रगति की शुरुआत तब हुई थी, जब डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग ( ए.ई.सी ) की स्थापना की गई थी। इस आयोग में अपनी परमाणु ऊर्जा की नीतियों क्रियान्वयन के लिए 1954 ई. में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की। इस विभाग के अंतर्गत कहीं शोध संसाधन है हैं, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर यह अन्य शोध संसाधनों से भी सहयोग लेता है। परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के उद्देश्य से भारत में अप्सरा नामक प्रथम परमाणु शोध रिएक्टर सन् 1956 में मुंबई के निकट बनाया गया था। वर्तमान में यहां जरलीना, ध्रुव तथा सायरस नामक तीन अन्य रिएक्टर कार्यरत है। वर्तमान में भारत में कुल मिलाकर 16 परमाणु रिएक्टर कार्यरत है, जिनमें लगभग 3900 मेगावाट विद्युत पैदा होती है, जो देश में कुल उत्पादित विद्युत का तीन फीसदी है। सन 1957 में ट्रॉम्बे में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान की स्थापना की गई, जिसे अब भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कहा जाता है। नाभिकीय विखंडन की अभिक्रियाओं में श्रंखला अभिक्रिया को निरंतर जारी रखने के लिए न्यूट्रॉन मंदक के रूप में भारी जल का उत्पादन सन 1962 में प्रारंभ हुआ भारत अब भारी जल के उत्पादन में न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि अन्य देशों को भी इसका निर्यात कर रहा है।

परमाणु ऊर्जा के विकास के लिए भारत समय-समय पर अन्य देशों से भी सहयोग लेता रहा है सन 1981 में राजस्थान में कोटा के निकट रावतभाटा में भारत के दूसरे परमाणु विद्युत संयन्त्र राजस्थान परमाणु विद्युत संयंत्र ने कार्य करना शुरू किया। इसके बाद 1983 ईस्वी में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड की स्थापना की गई। इसी वर्ष 23 जुलाई को मद्रास के निकट कलपक्कम में भारत के तीसरे परमाणु विद्युत संयन्त्र की स्थापना की गई। सन 1987 में परमाणु कार्यक्रमों के विस्तार के लिए भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड की स्थापना की गई।

भारत में परमाणु विद्युत संयंत्रों के निर्माण तथा रखरखाव का काम संभालने वाले भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम लिमिटेड ने सन 2020 तक परमाणु विद्युत उत्पादन की क्षमता को 20000 मेगा वाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है वर्तमान में कार्यरत 16 परमाणु रिएक्टरों से लगभग 3900 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। इनमें 12 दाबित भारी जल तथा दो ब्यॉयलिंग वॉटर रिएक्टर है इन सबके अतिरिक्त छह रिएक्टर निर्माणाधीन है।

बढ़ती जनसंख्या हेतु ऊर्जा की आपूर्ति करना भारत के लिए एक समस्या का रूप लेता जा रहा है आने वाले समय में देश में ऊर्जा की मांग 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ने का अनुमान है बढ़ती जनसंख्या फलती फूलती अर्थव्यवस्था और अच्छे जीवन स्तर की चाह के कारण प्राथमिक ऊर्जा खपत में वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए परमाणु ऊर्जा को विशेष महत्व देना अनिवार्य हो गया है। भारत में ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि और स्त्रोतों का दोहन ऊर्जा की बढ़ती मांग के अनुरूप नहीं हो रहा है इसलिए यह ऊर्जा संकट की स्थिति का सामना कर रहा है।

भारत को अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए विभिन्न देशों से तेल एवं अन्य संसाधनों का आयात करना पड़ता है। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में भारत में ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्त्रोतों को भी ऊर्जा उत्पादन के लिए विशेष महत्व दिया गया है, फिर भी ऊर्जा की कुल आवश्यकता के दृष्टिकोण से परमाणु ऊर्जा का उत्पादन समय की मांग है।

FAQ,s

परमाणु ऊर्जा क्या है in Hindi?

नाभिकीय विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा कहा जाता है। नाभिकीय विखण्डन वह रासायनिक अभिक्रिया है, जिसमें एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है। नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया ‘शृखला अभिक्रिया’ होती है। जब एक अभिक्रिया से स्वतः दूसरी अभिक्रिया होती है, तो उसे श्रृंखला अभिक्रिया कहा जाता है। श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है – अनियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया एवं नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया। अनियन्त्रित श्रंखला अभिक्रिया में तीन नए निकलने वाले न्यूटॉन पर नियन्त्रण नहीं होता, जिसके कारण नाभिकों के विखण्डन की दर 1, 3, 9, 27 ….. के अनुसार होती है, फलस्वरूप ऊर्जा अत्यन्त तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में बहुत अधिक विनाश करने में सक्षम होती है। इसी सिद्धान्त के आधार पर परमाणु बम का निर्माण किया जाता है। नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है तथा इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जा सकता है।। परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए नाभिकीय रिएक्टर में यही अभिक्रिया अपनाई जाती है।

भारत में परमाणु ऊर्जा की शुरूआत कब और कैसे हुई?

भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति के पद पर है। इस प्रगति की शुरुआत तब हुई थी, जब डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग ( ए.ई.सी ) की स्थापना की गई थी। इस आयोग में अपनी परमाणु ऊर्जा की नीतियों क्रियान्वयन के लिए 1954 ई. में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की।

वर्तमान में भारत में कुल कितने परमाणु रिएक्टर है?

वर्तमान में भारत में कुल मिलाकर 16 परमाणु रिएक्टर कार्यरत है

भारत का पहला परमाणु ऊर्जा केंद्र कहाँ स्थित है?

परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के उद्देश्य से भारत में अप्सरा नामक प्रथम परमाणु शोध रिएक्टर सन् 1956 में तारापुर, मुंबई, महाराष्ट्र के निकट बनाया गया था।

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अंतिम शब्द –

परमाणु ऊर्जा से रिलेटेड आर्टिकल्स से आपको परमाणु ऊर्जा क्या है, परमाणु ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती है, परमाणु ऊर्जा से लाभ और नुकसान की जानकारी पसंद आई होगी! अगर आपके दिमाग में परमाणु ऊर्जा क्या है in Hindi? से संबंधित कोई प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो आपसे निवेदन है कि कमेंट बॉक्स में हमे बताएं आपको परमाणु ऊर्जा पर निबंध लेखन में पूरी हेल्प की जावेगी। धन्यवाद!

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