नाटो क्या है? सदस्य देश, पूरा नाम, मुख्यालय, स्थापना, उद्देश्य

नाटो क्या है? सदस्य देश, पूरा नाम, मुख्यालय, स्थापना, उद्देश्य

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अब आगे बड़ते है और जानते हैं जानिए नाटो क्या है? सदस्य देश, पूरा नाम, मुख्यालय, स्थापना, उद्देश्य (Know what is NATO? Member countries, full name, headquarters, establishment, purpose) के साथ में सही जानकारी हिंदी में।

नाटो के बारे में जानकारी About nato in Hindi – What is Nato in Hindi

संस्था का नाम NATO
पूरा नाम North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन)
स्थापना 4 अप्रैल 1949
सदस्य देशों की संख्या 30
मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम)
अंग 4 अंग निम्न है –
1. महासचिव (Secretary General)
2. परमाणु योजना समूह (Nuclear Planning Group)
3. सैनिक समिति (Military Committee)
4. उप समिति (Subordinate Committees)
उद्देश्य पूरे विश्व में शांति को बनाए रखना है
नाटो क्या है नाटो के बारे में जानकारी

नाटो क्या है What is NATO in Hindi

नाटो एक 30 देशों का रक्षा संगठन है जो उत्तर अटलांटिक क्षेत्र में स्थित देशों के बीच संघर्षों से बचाव करने के लिए बनाया गया है। नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई एवं इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा संगठन है जो सदस्य देशों के समूह के रूप में कार्य करता है। 

नाटो एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है जो अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देने के लिए राजनीतिक और सैन्य साधनों का उपयोग करता है। नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता है और अपने सदस्यों का संघर्ष लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करके रोकता है। नाटो सबसे पहले किसी भी झगड़े के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन समस्या के हल ना निकले तो उसके पास सैन्य शक्ति भी होती है।

नाटो का फुल फॉर्म (NATO Full Form)

नाटो का पूर्ण नाम यानी फुल फॉर्म “North Atlantic Treaty Organization” यानी की उत्तर अटलांटिक संधि संगठन है।

नाटो का मुख्यालय कहां है

नाटो (NATO) एक ऐसा संगठन है जो पश्चिमी दुनिया की सुरक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए गठित किया गया था। नाटो का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित है जहां प्रत्येक सदस्य देश का राजदूत एक प्रतिनिधि होता है।

नाटो की स्थापना क्यों की गई

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अमेरिका ने सोवियत संघ के विस्तार की तरफ बढ़ते हुए ताकत के लिए एक संगठन की आवश्यकता को महसूस किया। इस संदर्भ में 1949 में नाटो की स्थापना की गई।

नाटो का मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ द्वारा विस्तार की तरफ बढ़ती ताकत के विरुद्ध सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इसके अलावा, नाटो का उद्देश्य पश्चिमी यूरोप के देशों को आपस में संगठित करना था ताकि वे सामूहिक रूप से सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हो सकें।

वर्तमान में, नाटो अपनी सदस्यता के अधीन 30 संयुक्त राज्य हैं जो उत्तर अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में स्थित हैं। नाटो अपने सदस्य देशों को सुरक्षा छत्र प्रदान करता है और साथ ही उनके रक्षा बजटों के विकास एवं अपग्रेड में भी मदद करता है। इसके अलावा, नाटो अपने सदस्य देशों के बीच संसाधनों और विविध अन्य क्षेत्रों में सहयोग भी करता है।

नाटो का इतिहास

नाटो का इतिहास दुनिया के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। नाटो का निर्माण 1949 में हुआ था। यह एक संयुक्त रक्षा संगठन है जो उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इसकी स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ द्वारा अधिकार के आंशिक अधिकार वाले देशों पर आक्रमण के खतरे से लोगों को सुरक्षित रखना था।

जब संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच संधि के साथ यूरोप की सुरक्षा के लिए संयुक्त रक्षा संगठन बनाने का निर्णय लिया गया, तब नाटो का निर्माण हुआ। इसके बाद, 1952 में ग्रीस और तुर्की शामिल हुए। इसके बाद, 1955 में जर्मनी भी इसके सदस्य बन गई।

इसके बाद, अन्य देशों की भी शामिली की गई। नाटो ने सुरक्षा संबंधी तकनीक और रणनीति के क्षेत्र में अपने सदस्यों के लिए विशेष अनुसंधान और विकास कार्यक्रम चलाये।

नाटो के सदस्य देश 

क्रमांकNATO में शामिल देशों का नाम NATO में शामिल होने का वर्ष
1यूनाइटेड किंगडम1949
2तुर्की1952
3स्पेन1982
4स्लोवेनिया2004
5स्लोवाकिया2004
6रोमानिया2004
7संयुक्त राज्य अमेरिका1949
8पुर्तगाल1949
9पोलैंड1999
10नॉर्वे1949
11उत्तर मैसेडोनिया2022
12नीदरलैंड्स1949
13मोंटेनेग्रो 20172017
14लक्ज़मबर्ग1949
15लिथुआनिया2004
16लातविया2004
17इटली1949
18आइसलैंड1949
19हंगरी1999
20ग्रीस1952
21जर्मनी1955
22फ्रांस1949
23एस्टोनिया2004
24डेनमार्क1949
25चेक गणराज्य1999
26क्रोएशिया2009
27कनाडा1949
28बुल्गारिया2004
29बेल्जियम1949
30अल्बानिया2009
नाटो में शामिल सदस्य देशों की संख्या और उनके नाम

NATO के सदस्य देशों की संख्या वर्तमान में 30 है जिनमें से अधिकतर यूरोपीय देश हैं जैसे कि जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, इतली, बेल्जियम, नीदरलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया, कनाडा, अमेरिका आदि।

NATO के सदस्य देशों को एक समान मंच पर खड़ा होकर सुरक्षा, आर्थिक विकास और विश्व समुदाय के मुद्दों पर बातचीत करने का मौका मिलता है। साथ ही, नाटो एक मानवीय संगठन होने के नाते सदस्य देशों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी बढ़ाता है।

महासचिव नाटो का सर्वोच्च अधिकारी होता है जो एक अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक होता है। महासचिव नाटो के मुख्य प्रवक्ता भी होते हैं और संगठन के अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारियों के प्रमुख होते हैं।

NATO के अन्य देशों पर प्रभाव

NATO के सदस्य देशों के अलावा दुनिया के अन्य देशों पर भी इसका प्रभाव होता है। नाटो की रक्षा और सुरक्षा के स्तर को देखते हुए कुछ अन्य देश भी इसके साथ सहयोग करते हैं। साथ ही, नाटो के सदस्य देशों की बातचीत और सहयोग से विश्व के अन्य देशों के साथ भी न्यूनतम संरचनात्मक संबंध होते हैं।

NATO के उद्देश्य

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के मुख्य उद्देश्य हैं:

  1. यूरोप पर आक्रमण के समय रोकथाम की भूमिका निभाना।
  2. सोवियत संघ के पश्चिम यूरोप में विस्तार को रोकना और युद्ध की स्थिति में लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
  3. सैन्य और आर्थिक विकास के लिए अपने कार्यक्रमों द्वारा यूरोपीय राष्ट्रों के लिए सुरक्षा छत्र प्रदान करना।
  4. पश्चिम यूरोप के देशों को एक संगठित सूत्र में लाना।
  5. इस प्रकार, नाटो का उद्देश्य “स्वतंत्र विश्व” की रक्षा के लिए सामंजस्य को बढ़ावा देना है और यदि संभव हो तो सामंजस्य को पराजित करने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता मानी जाती है।

नाटो (NATO) के अंग या संरचना

NATO का संरचनात्मक मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित है जो चार अंगों (परिषद, उप परिषद, प्रतिरक्षा समिति, सैनिक समिति) से मिलकर बनता है।

1- परिषद

परिषद नाटो का सबसे महत्वपूर्ण और उच्चतम अंग होता है जिसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है। इसका मुख्य उद्देश्य नाटो समझौते की मुख्य धाराओं को लागू करना होता है।

2- उप परिषद

उप परिषद नाटो देशों की कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद होती है जो सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करती है।

3- प्रतिरक्षा समिति

प्रतिरक्षा समिति में नाटो देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं और इसका मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा विषयों पर विचार विमर्श करना होता है।

4- सैनिक समिति

सैनिक समिति सदस्य देशों के सेनाध्यक्षों से मिलकर बनती है और इसका प्रमुख कार्य परिषद और प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना होता है।

ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine in Hindi)

अमेरिका ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के लिए ट्रूमैन सिद्धांत नामक एक प्रस्ताव रखा था। इस सिद्धांत का मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोक लगाने के साथ-साथ सभी यूरोपीय देशों की मदद करना था। अमेरिका ने इस सिद्धांत के अंतर्गत उन सभी देशों की सहायता करने का फैसला लिया था जो साम्यवाद से काफी खतरे में थे।

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क्या भारत भी नाटो में शामिल है?

Ans : नहीं। अब तक भारत नाटो में शामिल नहीं है।

क्या नाटो में कोई भी देश शामिल हो सकते हैं?

Ans: नहीं, कोई भी देश ना तो मैं शामिल नहीं हो सकता। क्योंकि इसके लिए यूरोपीय देश होना आवश्यक है।

नाटो की अधिकारिक भाषा क्या है?

Ans: नाटो की अधिकारिक भाषा अंग्रेजी तथा फ्रांसीसी है।

नाटो की ऑफिशियल वेबसाइट क्या है?

Ans: नाटो की ऑफिशियल वेबसाइट (Official Website) www.nato.int है।

वर्तमान में नाटो के महासचिव कौन है?

वर्तमान में नाटो के महासचिव, नॉर्वे के पूर्व प्रधान मंत्री रह चुके मिस्टर जेन्स स्टोलटेनबर्ग हैं।जेन्स स्टोलटेनबर्ग, 1 अक्टूबर 2014 से इस पदभार को संभाल रहे हैं।

Conclusion –

नाटो के बारे में आपने जाना मुझे उम्मीद है कि आपको यह लेख Nato Kya Hota Hai एवं Nato Ke Sadasya Desh Koun Kaun Se Hai साथ ही Nato Ke Karya और Nato Ke Pramukh Ang Kon Kaun Se Hai आपको जरुर पसंद आया होगा। अगर आपको What is Nato in Hindi से संबंधित कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में बताए आपकी हेल्प की जावेगी।

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