Simon Commission Kya Hai: लेख में आपको साइमन कमीशन क्या है? इसकी स्थापना किसने और कब की (What is Simon Commission? Who founded it and when) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। साइमन कमीशन के बारे में साइमन कमीशन के उद्देश्य क्या है, साइमन कमीशन भारत में कब और क्यों लाया गया, साइमन कमीशन के विरोध के मुख्य कारण तथा इसके सदस्य, अध्यक्ष कौन थे। चलिए जानते हैं क्या है साइमन कमीशन।
साइमन कमीशन क्या है
साइमन कमीशन एक ऐसी संस्था थी जो भारत में ब्रिटिश शासन की अवधि के दौरान स्थापित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत की शासन प्रणाली की जांच और परिवर्तनों की सिफारिश करना था।
साइमन कमीशन की स्थापना कब हुई और किसने की
साइमन कमीशन की स्थापना 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई थी, जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। आपको बता दें कि साइमन कमीशन के गठन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करना और ब्रिटिश सरकार को सिफारिशें करना था। साइमन कमीशन का गठन उस समय किया गया था जब भारत महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे प्रमुख थी, भारत की जनता का अच्छा समर्थन पा रही थी। बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल के जवाब में, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय लोगों में बढ़ते असंतोष को दूर करने के लिए भारत की शासन प्रणाली की समीक्षा करने का निर्णय लिया।
साइमन कमीशन (Simon Commission) पूरी तरह से ब्रिटिश नागरिकों को मिलाकर बनाया गया था। इस कमीशन में भारत के किसी भी आम जन, संस्थानों और नेताओं का समर्थन नही था। इस कमीशन से भारत की जानता में काफ़ी असंतोष और विवाद का मुद्दा बन गया था।
साइमन कमीशन को भारत में लाने के उद्देश्य
साइमन कमीशन आयोग के गठन को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के राजनीतिक मामलों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा था।
भारतीय नागरिकों, नेताओं और संगठनों ने मांग की थी कि साइमन कमीशन का एक बार पुनर्गठन कर भारतीय लोगो को भी इसका सदस्य बनाया जाए। किंतु ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का पुनर्गठन करने से साफ इन्कार कर दिया।
साइमन कमीशन आयोग की रिपोर्ट, जो 1930 में ब्रिटिश सरकार को सौंपी गई थी, ने भारत की शासन प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की थी। इसने सरकार की एक संघीय प्रणाली की स्थापना की मांग की गई, जिसमें भारतीय प्रांतों को अधिक शक्तियाँ प्रदान की जा रही थीं।
साइमन कमीशन में यह भी सिफारिश थी कि भारत को रक्षा, विदेशी मामलों और आर्थिक नीति जैसे क्षेत्रों में अधिक स्वायत्तता दी जाए। लेकिन आयोग की रिपोर्ट की भारतीय जनता, नेताओं और संगठनों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई। आयोग की इन सिफारिशों को अपर्याप्त और ब्रिटिश सरकार के लिए भारत के राजनीतिक मामलों पर अपना नियंत्रण बनाए रखने का एक जरिया बताया गया था।
भारत की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसने आयोग की इन सिफारिशों का और साइमन कमीशन आयोग के कार्यों बहिष्कार किया था। और इस आयोग को खारिज कर दिया और भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
Simon Commission का गठन और उसके बाद की रिपोर्ट भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाएँ थीं। इसने भारतीय जनता के बीच बढ़ते असंतोष और महत्वपूर्ण राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आयोग की रिपोर्ट की अस्वीकृति और स्वतंत्रता की मांग भारत के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ थे।
साइमन कमीशन के मुख्य उद्देश्य
- भारत में एक संघ की स्थापना हो जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांत और देशी रियासतें शामिल हों।
- केन्द्र में उत्तरदायी शासन की व्यवस्था हो।
- वायसराय और प्रांतीय गवर्नर को विशेष शक्तियाँ दी जाएं।
- एक लचीले संविधान का निर्माण हो।
साइमन कमीशन का विरोध
साइमन जहां जहां भी पहुंचा जैसे कोलकाता लाहौर लखनऊ, विजयवाड़ा और पुणे जैसी जगहों पर जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। भारत की जानता ने उसे काले झंडे दिखाए।
पूरे भारत में साइमन गो बैक (साइमन वापस जाओ) के नारे लगाए जाने लगे। लखनऊ में हुए लाठीचार्ज में पंडित जवाहर लाल नेहरू घायल हो गए और गोविंद वल्लभ पंत अपंग हो गए थे।
30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपत राय के नेतृत्व में साइमन का विरोध कर रहे युवाओं को निर्दयता से पीटा गया। पुलिस ने लाला लाजपत राय की छाती पर निर्ममता से लाठियां बरसाईं। वह बुरी तरह घायल हो गए और मरने से पहले उन्होंने बोला था कि “आज मेरे उपर बरसी हर एक लाठी कि चोट अंग्रेजोंं की ताबूत की कील बनेगी” अंतत: इस कारण 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपतराय की मृत्यु हो गई थीं।
साइमन कमीशन के सदस्य
- सर जॉन साइमन , स्पेन वैली के लिए सांसद (लिबरल , अध्यक्ष)
- क्लीमेंट एटली , लाइमहाउस के लिए सांसद ( श्रम )
- हैरी लेवी-लॉसन, 1 विस्काउंट बर्नहैम
- एडवर्ड कैडोगन , सांसद फ़िंचली (कंज़र्वेटिव)
- वरनोन हारटशोर्न , के लिए सांसद Ogmore (श्रम)
- जॉर्ज लेन-फॉक्स , सांसद बार्कस्टन ऐश (कंजर्वेटिव)
- डोनाल्ड हॉवर्ड, तीसरा बैरन स्ट्रैथाकोना और माउंट रॉयल
FAQ,s
Q: Simon Commission Kya Hai?
Ans – साइमन कमीशन भारत में ब्रिटिश शासन की अवधि के दौरान स्थापित एक संस्था थी, जिसका उद्देश्य भारत की शासन प्रणाली की जांच और परिवर्तनों की सिफारिश करना था।
Q: साइमन कमीशन की स्थापना कब हुई थी?
Ans – नवंबर 1927 में साइमन कमीशन की स्थापना हुई थी।
Q: साइमन कमीशन की स्थापना क्यों की गई थी?
Ans –
1.भारत में एक संघ की स्थापना हो जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांत और देशी रियासतें शामिल हों।
2.केन्द्र में उत्तरदायी शासन की व्यवस्था हो।
3.वायसराय और प्रांतीय गवर्नर को विशेष शक्तियाँ दी जाएं।
4.एक लचीले संविधान का निर्माण हो।
Q: साइमन कमीशन का अध्यक्ष कौन था?
Ans – सर जॉन साइमन
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निष्कर्ष –
साइमन कमीशन के बारे में जानकारी में आपको उक्त लेख के द्वारा साइमन कमीशन क्या है और इसकी स्थापना कब हुई थी। और साइमन कमीशन की स्थापना किसने की इसके सदस्य कितने और कौन कौन थे, के उत्तर बताए।
इसके अलावा साइमन कमीशन के मुख्य उद्देश्य क्या थे इसका विरोध क्यों किया गया था, के बारे में भी बताया गया है।
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